खैरागढ़ विधानसभा में 69 स्कूल अति जर्जर जहां पढ़ाई करने छात्र मजबूर

खैरागढ़ ब्लॉक में 37 व छुईखदान में 32 स्कूल भवन अति जर्जर

स्कूलों के जीर्णोद्धार के लिये शासन द्वारा नहीं हो रहा सार्थक प्रयास

जर्जर स्कूलों में छात्रों के बीच शिक्षकों ने मनाया शाला प्रवेश उत्सव

सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. गुरूवार 16 जून को नया शिक्षा सत्र 2022-23 प्रारंभ हो चुका है, शिक्षा सत्र के पहले दिन खैरागढ़ तथा छुईखदान ब्लॉक के सभी स्कूलों में शाला प्रवेश उत्सव मनाया गया जहां जर्जर स्कूलों में पढऩे के लिये फिर नन्हें छात्रों ने प्रवेश लिया है. जानकारी अनुसार खैरागढ़ तथा छुईखदान ब्लॉक में संचालित शासकीय स्कूल भवनों में नया सत्र प्रारंभ किया गया है लेकिन दोनों ब्लॉक में कई स्कूल भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है जिसमें खैरागढ़ ब्लॉक 37 तथा छुईखदान ब्लॉक में 32 स्कूल भवन शामिल हैं. इनमें से अधिकांश स्कूल भवनों में छात्र पढ़ाई कर अपना बेहतर भविष्य गढऩे प्रवेश लिये हैें. इन जर्जर स्कूलों के मरम्मर के अभाव में छात्र जर्जर भवन में ही पढ़ाई करने मजबूर हैं लेकिन इन अति जर्जर स्कूल भवनों में कभी भी दुर्घटना घट सकती है. इन जर्जर स्कूलों के बिगड़ते हालात को देखकर कुछ स्कूलों के शिक्षकों ने समझदारी का परिचय दिखाते हुये दूसरे भवनों तथा रंगमंच में स्कूल का संचालन कर रहे हैं जिससे छात्रों का जीवन सुरक्षित रहे लेकिन अभी भी कई ऐसे स्कूल हैं जो जर्जर भवनों में ही संचालित हो रहे हैं जहां छात्र अपनी जान जोखिम में डालकर बेहतर भविष्य गढऩे पढ़ाई कर रहे हैं.

इन भवनों की स्थिति है खराब

स्कूलों की स्थिति की बात करें तो खैरागढ़ ब्लॉक के प्राथमिक शाला खम्हारडीह, टेकापार, अचानकपुर, धनेली, सहसपुर, पुराना करेला, जगन्नाथपुर, घोंघेडबरी, खोंघा, कोटरीछापर, कुसमी, हरदी, कामठा, मुस्का, मोंगरा, कुसियारी, टिकरापारा, कन्या शाला खैरागढ़, खम्हरिया खुर्द, प्रयोगिक खैरागढ़, तेलीटोला, गाड़ाघाट, ढोलियाकन्हार, चंदैनी, तुलसीपुर, चारभाठा, बोईरडीह व कटंगी खुर्द तथा माध्यमिक शाला बफरा, घोंघेडबरी, भुरसाटोला, डोकराभाठा, बरगांव नवागांव, ईटार, जोरातराई, कन्या शाला खैरागढ़, ढोलियाकन्हार शामिल है वहीं छुईखदान ब्लॉक के प्राथमिक शाला बाई कटोरी, बुन्देली, मोहगांव, मानपुर पहाड़ी, बिरौड़ी, छिंदारी कालोनी, विचारपुर, राजाबर, सरोधी, डुमरिया, जंगलपुर, जोम, नादिया, आमगांव, खादी, उदान, समुंदपानी, खर्रा, संडी, गाताभर्री, हाथीझोला, लछना झिरिया व बांधाटोला तथा माध्यमिक शाला झुरानदी, कुटेलीकला, मानपुर, उदयपुर, आमाघाट कादा, गभरा, जंगलपुर, समुंदपानी, बकरकट्टा स्कूल अति जर्जर हो चुका है. इनमें से अधिकांश स्कूलों में छात्र पढ़ाई करने मजबूर हैं.

इन स्कूलों का संचालन दूसरे भवन में

गौरतलब है कि खैरागढ़ तथा छुईखदान ब्लॉक में कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जिनकी स्थिति अति जर्जर होने के कारण इन स्कूलों का संचालन दूसरे भवनों में किया जा रहा है. खैरागढ़ ब्लॉक के प्राशा अचानकपुर का संचालन राजीव गांधी सेवा केन्द्र, पुराना करेला का आंगनबाड़ी भवन में, जगन्नाथपुर का सामुदायिक लोधी भवन में, तेलीटोला का स्कूल बीते चार वर्षों से रंगमंच में तथा गाड़ाघाट का स्कूल मंच में संचालित हो रहा है वहीं अन्य गांवों के स्कूल अतिरिक्त कक्ष तथा स्वयं के भवन में संचालित हो रहे हैं. इसी तरह छुईखदान ब्लॉक के माशा समुंदपानी तथा प्राशा खादी स्कूल के बरामदे में, प्राशा खर्रा स्कूल पंचायत भवन में, बकरकट्टा का पुराना भवन में, संडी का सामुदायिक भवन में, गाताभर्री का व्यक्तिगत आवास में, हाथीझोला व लछना झिरिया का आंगनबाड़ी में तथा बांधाटोला का अन्य कक्षों में संचालित हो रहा है तथा अन्य सभी स्कूलों का संचालन उसी जर्जर शाला भवन में हो रहा है जहां कभी भी दुर्घटना घट सकती है.

जर्जर भवनों के जीर्णोद्धार के लिये कई बार हो चुका प्रस्ताव

ब्लॉक में पदस्थ शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि जर्जर भवनों के जीर्णोद्धार तथा नये भवन निर्माण से संबंधित प्रस्ताव उच् च अधिकारियों को कई बार प्रेषित किया जा चुका है लेकिन आज तक इस समस्या के समाधान को लेकर कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है. इसका मतलब यह है कि या तो प्रशासनिक अधिकारी ही नन्हें छात्रों को बेहतर स्कूल में बढ़ाई से वंचित कर रहे हंै या शासन के द्वारा ही इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बीते दो साल कोरोना संक्रमण के चलते शासन-प्रशासन के द्वारा स्कूलों की बेहतरी के लिये बेहतर कदम नहीं उठाये गये हैं लेकिन बीते सालभर से प्रदेश में कोरोना संक्रमण से राहत होने के बाद भी शासन-प्रशासन द्वारा स्कूलों की बेहतर व्यवस्था के लिये कोई उचित पहल नहीं की जा रही है जो देश का भविष्य कहे जाने वाले जर्जर स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.

जर्जर स्कूलों की जानकारी आलाधिकारियों सहित शासन स्तर पर प्रेषित की गई है, कोरोना काल के चलते जर्जर व अति जर्जर शाला भवनों की मरम्मत नहीं हो पायी है.

महेश भुआर्य, बीईओ खैरागढ़

Exit mobile version