खैरागढ़ में सुर्खियां बटोर रही शिक्षक पदोन्नति व पदांकन प्रक्रिया में नाटकीय मोड़

पदोन्नत शिक्षकों की पदांकन प्रक्रिया पर लगी रोक हटी
भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद कलेक्टर के आदेश पर ही लगी थी रोक
26 दिन बाद कलेक्टर के निर्देश पर डीईओ ने प्रक्रिया से रोक हटाई
खैरागढ़ में बगैर काउंसिलिंग के की गई है पदांकन की प्रक्रिया
बहुत से दिव्यांग और महिला शिक्षकों को भेजा गया है दूर-दराज
रसूख रखने वाले शिक्षकों को किया गया है पदांकन प्रक्रिया में उपकृत
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. नवीन जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में सुर्खियां बटोर रहे शिक्षक पदोन्नति के बाद पदांकन की प्रक्रिया में नाटकीय मोड़ आ गया है. प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर दिव्यांग व महिला शिक्षकों को दूर का रास्ता दिखाने वाले शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की 26 दिन बाद फिर से बल्ले-बल्ले हो गई है. दरअसल पदोन्नत शिक्षकों की पदांकन प्रक्रिया पर लगी रोक गुरूवार 10 नवंबर की शाम हटा ली गई है. गौरतलब है कि पदांकन प्रक्रिया में शिक्षकों द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद कलेक्टर डॉ.जगदीश सोनकर ने बीते माह 13 अक्टूबर को पदांकन प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी, जिसके बाद पदांकन प्रक्रिया में भेदभाव का दंश सहने वाले

शिक्षकों को उम्मीद थी कि काउंसिलिंग के माध्यम से नियमानुसार पदांकन की प्रक्रिया होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और 26 दिन बाद कलेक्टर डॉ.जगदीश सोनकर के निर्देश पर डीईओ राजेश कुमार सिंह ने पदांकन प्रक्रिया पर लगी रोक हटाने आदेश जारी किया है. इस आदेश के बाद पदांकन की प्रक्रिया में बहुत से दिव्यांग और महिला शिक्षक जिन्हें मैदानी इलाकों से उठाकर वनांचल व दुरूस्त इलाकों में फेक दिया गया है अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और इस बात की चर्चा फिर जोर पकडऩे लगी है कि रसूख रखने वाले शिक्षकों को आखिरकार पदांकन की प्रक्रिया में उपकृत करने नाटकीय ढंग से 26 दिन बाद रोक हटा ली गई.
पदांकन प्रक्रिया से रोक हटने के बाद उठ रहे कई सवाल
पदांकन प्रक्रिया में लगी रोक को डीईओ राजेश कुमार सिंह ने हटाकर अपने निर्देश में लिखा है कि खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला के अंतर्गत सहायक शिक्षक (एलबी) से पदोन्नत प्राथमिक शाला प्रधान पाठकों को कार्यभार ग्रहण किये जाने पर दिनांक 13.10.2022 को लगाई गई रोक के तत्संबंध में आवेदनों के सक्षम प्राधिकारी के द्वारा परीक्षण उपरांत कलेक्टर द्वारा शिथिल किया गया है. इसलिये अधिनस्थ सहायक शिक्षक एलबी को पदोन्नत संस्था में दिनांक 14.11.2022 तक कार्यमुक्त/कार्यभार ग्रहण कराकर पालन प्रतिवेदन प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करें. यह आदेश डीईओ ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी खैरागढ़ व छुईखदान को दिया है वहीं प्रतिलिपि वरिष्ठ अधिकारियों को प्रेषित की गई है लेकिन रोक हटाने के बाद पीडि़त शिक्षक समुदाय में चर्चा व बहस इस बात को लेकर बढ़ गई है कि कलेक्टर ने आखिरकार किसलिये पदांकन प्रक्रिया में 26 दिन पहले रोक लगाई, क्या प्रारंभिक दृष्टि में पदांकन सूची में खामियां दिखी थी,
यदि कार्यभार ग्रहण करने में रोक लगी तो अनियमितता की जांच कमेटी क्यों नहीं बनाई गई और अगर जांच हुई है तो जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया है जिसके आधार पर रोक को 26 दिनों तक सरकारी घोड़ा दौड़ाने के बाद शिथिल कर दिया गया. रोक 10 नवंबर को हटा ली गई लेकिन इस बात की सूचना को किन कारणों से सार्वजनिक नहीं किया गया और 11 नवंबर को अचानक रोक हटाने एवं कार्यभार ग्रहण करने की सूचना शिक्षकों को व्हाट्सअप के माध्यम से दी गई एवं इसके लिये केवल 3 दिनों का समय दिया गया जबकि इस बीच शनिवार व रविवार को शासकीय अवकाश है, क्या यह सोची-समझी रणनीति का ही हिस्सा है ताकि अपने हित के लिये लड़ रहे पीडि़त शिक्षक हतोत्साहित होकर कार्यभार ग्रहण कर ले.
हतोत्साहित नहीं होंगे पीडि़त शिक्षक- शिक्षक कांग्रेस
पदांकन की प्रक्रिया में लगी रोक हटने के बाद शिक्षक कांग्रेस से जुड़े शिक्षकों ने कहा है कि पीडि़त शिक्षक हतोत्साहित नहीं होंगे, उनके पास अभी भी दो रास्ते बाकी हैं जिस पर चलकर उन्हें न्याय जरूर मिलेगा. शिक्षकों का कहना है कि उनके साथ हुये भेदभाव व अत्याचार के खिलाफ वे सभी एकजुट होकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास शिकायत लेकर जायेंगे, शिक्षकों को उम्मीद है कि प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री शिक्षकों के साथ (खासतौर पर दिव्यांग व महिला शिक्षकों) पर हुये अन्याय को लेकर समूचित न्याय करेंगे. किन्हीं कारणों से अगर शासन भी पीडि़तों के साथ न्याय न कर पाये तो सभी पीडि़त शिक्षक संस्थागत माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाकर न्याय पालिका से न्याय की गुहार लगायेंगे.