खैरागढ़ में विकास के स्थानीय मुद्दे दरकिनार, हर बार की तरह दलगत राजनीति हावी

कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशी को पार्टी के घोषणाओं का सहारा

जोगी कांग्रेस व गोंगपा-बसपा सहित निर्दलीय प्रत्याशी भी लगा रहे जोर

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. हर बार कि तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे दरकिनार हैं, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी पार्टी की घोषणाओं के दम पर चुनाव लड़ रहे हैं और अब तक खैरागढ़ में दलगत राजनीति ही हावी नजर आ रही हैं. जोगी कांग्रेस व गोगपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी सहित कुछ निर्दलीय प्रत्याशी जोर आजमाईश में लगे हुए हैं लेकिन प्रमुख मुकाबला कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों के बीच की नजर आ रहा है, इसमें भी इन पार्टियों का घोषणा पत्र व लोक-लुभावन वादे मतदाताओं के बीच ज्यादा असरदार नजर आ रहे हैं. इस बार विधानसभा क्षेत्र में दो राष्ट्रीय पार्टी के बीच कांटे की टक़्कर देखने को मिल रही हैं. पिछली बार खैरागढ विधानसभा सीट जनता कांग्रेस जोगी की झोली में गई थी. 7 नवम्बर को चुनाव होने सभी प्रत्याशी प्रचार-प्रसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

एक तरफ कांग्रेस की महिला प्रत्याशी यशोदा वर्मा हैं वहीं भाजपा से विक्रांत सिंह को मैदान में उतारा गया हैं. बीजेपी जहां विक्रांत सिंह के चेहरे को लेकर केन्द्र सरकार के योजनाओं पर चुनाव लड़ रही हैं वही कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक यशोदा नीलाम्बर वर्मा को फिर मैदान में उतार भूपेश सरकार के कार्यकाल में हुए कामों खासतौर पर किसानों को लेकर चुनाव मैदान में हैं लेकिन दोनो पार्टी स्थानीय विकास के मुद्दे पर मुखर नहीं हैं. 2018 के चुनाव में जेसीसी से देवव्रत सिंह ने चुनाव जीता था. लेकिन विधायक की आकस्मिक निधन हो जाने पर 2022 में चुनाव अयोग द्वारा उपचुनाव कराया गया जिसमें कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने भाजपा के कोमल जंघेल को हरा कर खैरागढ़ विधानसभा को फिर कांग्रेस की झोली में डाला था. बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य, युवाओं को रोजगार, जिले में नए उद्योग धंधों की बसाहट, सुगम सड़के, और सफाई तथा बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था जैसे स्थानीय मुद्दे विधानसभा चुनाव में दिखाई नहीं दे रहे हैं. प्रत्याशी इन मुद्दे को भूलकर पार्टी के छवि के सहारे चुनाव मैदान में है. विकास के मुद्दे नहीं जाति धर्म के समीकरणों का गुणा-भाग भी चुनाव में दंड बैठक करता नजर आता हैं. वादे तो सभी प्रत्याशी बढ़-चढ़कर कर रहे हैं, लेकिन जनता किससे प्रभावित होगी यह तो आने वाला समय बताएगा, बहरहाल स्थानीय मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं.

सभी राजनीतिक पार्टियों विजयी होने के लिए तमाम प्रकार के घोषणाएं कर रही हैं लेकिन जनता क्या सोचकर अपना वोट देगी इसको टटोलने का प्रयास किया जा रहा है. खैरागढ़ विधानसभा में लगभग 2 लाख 19 हजार 558 मतदाता हैं जो विधानसभा चुनाव में अपना मतदान करेंगे. लोगों से मतदान को लेकर की गई चर्चा में यह बात सामने आई कि इस बार बिना किसी लालच के सोच समझकर अपना मतदान करेंगे. वो एक ऐसे प्रत्याशी का चयन करेंगे जो की जनता को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने एवं जनता की हित के लिए काम करे न कि केवल वादे और घोषणा हो. बल्कि उनका लक्ष्य जनहित सर्वोपरि हो. उनका लक्ष्य केवल घोषणाएं न होकर सर्वसमाज और अपने क्षेत्र के लिए बेहतर काम करने का होना चाहिए.

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