खैरागढ़ में नेशनल लोक अदालत के आयोजन में सुलझे कई पेचीदा मामले
वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग और भौतिक माध्यम से प्रकरणों का निपटारा कर पक्षकारों को किया गया लाभान्वित
सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के तत्वधान में तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ में नेशनल लोक अदालत का आयोजन 9 मार्च को किया गया जहाँ प्रकरण के पक्षकारों को भौतिक रूप से एवं वर्चुअल कांफ्रेंसिंग दोनों मुख्य माध्यम से मामले में सुलह की सुविधा प्रदान की गई. उक्त नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ पक्षकारों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के तैल चित्र पर पूजा अर्चना कर की गई. न्यायाधीश चन्द्र कुमार कश्यप अपर जिला एवं सत्र न्यायालय खैरागढ़ के 26 प्रकरणों को पक्षकारों से सहमति उपरांत मामले का निपटारा कर उन्हें लाभान्वित किया गया इनमें 10 दावा प्रकरणों में कुल अवार्ड राशि 18 लाख 98 हजार 108 रू. अदर सिविल केसेस 4 में ₹23 लाख 21 हजार 446 रू. व 138 चेक बाउंस के 1 मामले में ₹210000 में रु हुआ वही प्री लिटिगेशन नगर पालिका खैरागढ़ के 3 मामले में 27980 रुपए, विद्युत विभाग के 15 प्रकारण में 2 लाख 26 हजार 792₹ व बीएसएनएल 2 केस में 3 हजार 548₹ में हुआ इसी प्रकार विवेक गर्ग मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट खैरागढ़ के 138 चेक बाउंस के 2 मामले में 3 लाख 10 हजार ₹ ट्रैफिक चालान में 249 मामलों में 24 हजार 900₹ और वही कैसेस ऑफ यू/एस 321, 258 सीआरपीसी एंड ऑल अदर पेटी ऑफेंस ईटीसी बाय स्पेशल सीटिंग मजिस्ट्रेट के 43 प्रकरणों में 22 हजार ₹ की अवार्ड राशि पास हुआ और 14 आपराधिक मामलों में भी समझौता हुआ और गुरुप्रसाद देवांगन न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालय में क्रिमिनल कंपाउंडेबल ऑफेंस केसेस 27 और ट्रैफिक चालान में 43 मामलों में 12 हजार 900₹ और कैसेस ऑफ यू/एस 321, 258 सीआरपीसी एंड ऑल अदर पेटी ऑफेंस ईटीसी बाय स्पेशल सीटिंग मजिस्ट्रेट के 11 प्रकरणों में 75 सौ केस में पेटी ऑफेंस ऑफ जुवेनलेस 156 में 15 हजार 600 अवार्ड राशि पास हुआ. राजीनामा करने के लिये तालुका विधिक सेवा समिति द्वारा प्री सिटिंग की व्यवस्था भी की गई थी जहां लोगों को आपसी सुलह से राजीनामा करने के लिए प्रेरित किया गया. इस प्रकार आज के नेशनल लोक अदालत में कुल 538 केसों का निपटारा हुआ जिसमें कुल अवार्ड 48 लाख 57 हजार 874₹ पारित हुआ इस नेशनल लोक अदालत सफल बनाने में संपूर्ण कोर्ट स्टाफ सहित पैरालीगल वालंटियर गोलूदास साहू, छविराज, कला प्रजापति
सुलहकर्ता अधिवक्ता गण संदीप दास वैष्णव, गिरिराज ठाकुर, शत्रुघ्न वर्मा, चंद्रशेखर वर्मा, ज्ञान दास, महेश साहू, रामकुमार जांगड़े, मिहिर झा, सूर्यदमन सिंह, विक्रम यदु, भुनेश्वर वर्मा, साबरा बानो, सुनीलकांत पांडे, सुबोधकांत पांडे, सतीश सिंघानिया, मनोज चौबे, विवेक कुर्रे, सुरेश ठाकुर, सुरेश भट्ट, सौरभ श्रीवास्तव, कौशल कोसरे, नीरज झा, सर्वेश ओसवाल, एलएम जंघेल, घम्मन साहू, मनराखन देवांगन, शत्रुघ्न वर्मा, राजीव चंद्राकर, विवेक कुर्रे, सुरेश साहू, सत्यकला वर्मा आदि का सराहनीय सहयोग रहा.
सफलता की कहानी न्यायालय की मानवीय पहल
3 साल के लंबे इंतजार के बाद मिले दादी और पोते
आज के सामान्य जनमानस में पुलिस कोर्ट कचहरी को लेकर डर तथा अलग ही विचार आता हैं लेकिन लोक अदालत एक ऐसा माध्यम है जिसमें सामान्यजन अपने मुकदमे आसानी से सुलझा सकते हैं. इसी कड़ी में आज अध्यक्ष आलोक कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार अध्यक्ष चन्द्र कुमार कश्यप तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ एवं सचिव देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन में आयोजित नेशनल लोक अदालत खैरागढ़ व्यवहार न्यायालय में आयोजित किया गया है. आज न्याय सुलभ है की तर्ज पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गुरुप्रसाद देवांगन के न्यायालय में विचाराधीन मामले में दादी भूरी बाई चंदेल और पोते प्रेमलाल चंदेल के बीच पारिवारिक विवाद जो कई वर्षो से लंबित था. जिसमें न्यायालय द्वारा प्रार्थिया के घर जाकर जो चलने में असमर्थ थी जो पैरालिसिस के तकलीफ से जूझ रहे थी वहां व्यवहार न्यायालय खैरागढ़ के पीएलवी गोलूदास साहू एवं अभियुक्त के वकील सौरभ श्रीवास्तव के द्वारा न्यायालय खैरागढ़ से 25 किमी दूर उसके ग्राम परसुली न्यायालय आपके द्वारा के तहत घर जाकर दादी और पोते के बीच राजीनामा कराया गया साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रार्थीया राजीनामा के लिए अपनी स्वीकृति जेएमएफसी गुरु प्रसाद देवांगन को दी. और डॉकेट फॉर्म में अपने अंगूठे का निशान लगाई और दोनों के मध्य राजीनामा हुआ दोनों के मध्य जो विवाद और संघर्ष था वह खत्म हुआ. दोनों एक दूसरे से मिले और दोनों के आंख में खुशी के आंसू आ गये. न्यायालय के इस मानवीय और सराहनीय प्रयास से पुनः मधुर संबंध दोनों नाती पोते के बीच बना. दोनों ने इस पूरे कार्य के लिए नेशनल लोक अदालत की टीम का दिल से धन्यवाद किया. यह पहल आम जनमानस में न्याय के प्रति जागरूक करने एक मिसाल है जिससे और मामले जो आज तक विचारण में है व भविष्य में इसी तरह जल्द सुलझेंगे तथा लोगो के न्याय तथा न्यायालय के प्रति आस्था और बढ़ेगी.