खैरागढ़ में आचार संहिता का फायदा उठा रहे रेत माफिया
चुनाव में अधिकारियों की व्यस्तता से रेत तस्करी हुई तेज
कार्यवाही से बचने तस्कर रेत को छुपाने में जुटे
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते जिले में लगे आचार संहिता का भरपूर फायदा रेत तस्कर उठा रहे हैं। इधर चुनावी प्रक्रिया को संपन्न कराने जिले के अधिकारी व्यस्त हो गये हैं जिसका फादय उठाते हुये रेत तस्कर दिन दहाड़े नदी से रेत निकालकर तस्करी कर रहे हैं। ब्लॉक के ग्राम चंदेनी में रेत तस्कर लगातार रेत निकालने में जुटे हुये हैं परंतु खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी खबर तक नहीं है। खनिज अधिकारियों के सुस्त रवैये से इन पर आरोप भी लग रहा है कि अधिकारियों के संरक्षण में ही रेत तस्करों के हौसले बुलंद हैं और दिन दहाड़े अवैध रेत तस्करी का सिलसिला जारी है। ज्ञात हो कि ग्रामीणों द्वारा खनिज विभाग में रेत, मुरूम के अवैध खनन की जानकारी दिये जाने के बाद भी खनिज विभाग के अमला मौके पर नहीं पहुंच रहे हैं और न ही कार्यवाही कर रहे हैं। मामले को लेकर चंदेनी के ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत के संरक्षण में कुछ चुनिंदा व्यक्तियों द्वारा रेत की तस्करी की जाती है। इन लोगों के द्वारा गांव के बगीचे और खेत जाने वाले रास्ते में मौजूद रेत को निकालकर डंप कर रहे हैं ताकि गर्मी लगते ही आने वाले दिनों में अधिक कीमत पर बेच सके। कुछ ग्रामीणों द्वारा अन्य प्रदेश से मजदूर बुलाकर ईंट भट्टे संचालित किया जा रहा है। उनके लिए भी रेत और अवैध लकड़ी की सप्लाई गांव के ही कुछ लोगों द्वारा की जा रही है। बाजार अतरिया क्षेत्र के ग्राम चंदेनी व जुनवानी सहित अन्य गांवों की नदियों से रेत की सप्लाई धड़ल्ले से कर रहे हैं और शासन को राजस्व का चुना लगा रहे हैं।
कार्यवाही से बचने अलसुबह शुरू हो जाता है काम
ज्ञात हो कि इन रेत तस्करों द्वारा कार्यवाही से बचने अलसुबह से ही नदी पहुंचकर रेत खनन का कार्य शुरू कर दिया जाता है। मजदूरों के माध्यम से नदी में ट्रेक्टर व छोटा माजदा ले जाकर उसमें रेत भरकर निकालते हैं और इस रेत को आम के बगीचे सहित अन्य गोपनीय जगह पर रखा जाता है जहां अधिकारियों की नजर न पडे़। रेत तस्कर इस रेत को अधिक दाम पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं और शासन को चुना लगाते हैं। बता दे कि तस्करों के द्वारा ग्रामीणों में खौफ बनाकर रखा गया है जिसके चलते गांव के लोग इनका नाम तक नहीं लेते हैं। गांव के एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने के शर्त पर बताया कि रेत तस्करों की अगर शिकायत की जाए तो उन्हें शिकायतकर्ता का पता चल जाता है और उनसे दुश्मनी कर मारपीट करने पर उतर आते है जिसके चलते ग्रामीण इनकी शिकायत नहीं करते। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि अवैध रेत खनन की जांच करने आज तक कोई अधिकारी भी निरीक्षण करने नहीं आये हैं।