
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। रानी रश्मिदेवी सिंह शासकीय महाविद्यालय के इतिहास विभाग में प्राचार्य डॉ.ओ.पी. गुप्ता के मार्गदर्शन में शहीद वीर नारायण सिंह का बलिदान दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ.जितेन्द्र कुमार साखरे द्वारा उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण कर की गई। समाजशास्त्र विभाग के धरमपाल वर्मा ने वीर नारायण सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म वर्ष 1795 में छत्तीसगढ़ के सोनाखान में एक जमींदार परिवार में हुआ था। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ वे हमेशा डटकर खड़े रहे। उन्होंने बताया कि 1856 के भीषण अकाल के दौरान जब लोग भुखमरी का सामना कर रहे थे तब वीर नारायण सिंह ने साहूकारों के गोदामों में अवैध रूप से संग्रहित अनाज को गरीब जनता में वितरित कर उनकी जान बचाई जिसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया। डॉ.जितेन्द्र कुमार साखरे ने कहा कि अन्याय और दमन के विरुद्ध जीवनभर संघर्ष करने वाले वीर नारायण सिंह को 10 दिसंबर 1857 को मृत्यु दंड दिया गया। वे छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के रूप में आज भी जनमानस में अमर हैं। कार्यक्रम में राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष सुरेश आडवानी हिन्दी विभाग के यशपाल जंघेल, डॉ.उमेन्द्र चंदेल सहित अन्य वक्ताओं ने भी उनके योगदान को याद किया। आयोजन में महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
