
एक ही तारीख पर दो-दो बार हुआ भुगतान
आरटीआई से खुली फाइले झूठ नहीं बोलती

वन विभाग के अधिकारियों ने डाला कैम्पा मद की राशि में डाका
जांच की हो रही मांग, कलेक्टर कार्यालय में क्या होगा सस्पेंस
सत्यमेव न्यूज के लिए आकाश तिवारी खैरागढ़। राज्य कैम्पा मद के तहत फारेस्ट कॉलोनी परिसर की सुरक्षा के लिये किए गये बाउंड्रीवाल निर्माण कार्य में भारी वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता शंकर वर्मा (अछोली) और आदित्य सिंह (बिजलदेही) द्वारा प्राप्त दस्तावेजों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
39 लाख के काम में लाखों का फर्जी भुगतान
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1000 मीटर लंबाई की बाउंड्रीवाल निर्माण योजना की लागत 39 लाख 20 हजार रुपए थी। इसमें मजदूरी मद के अंतर्गत करीब 2 लाख 4 हजार 646 रुपए का भुगतान दर्शाया गया लेकिन जांच में यह सामने आया कि एक ही व्यक्ति को एक ही अवधि में बार-बार भुगतान किया गया है।

मार्च 2021 में दो-दो बार मजदूरी भुगतान
रिकॉर्ड के अनुसार 6 से 11 मार्च 2021 तक किए गए कार्य के लिए 7,852 रुपए का भुगतान किया गया। इसके बावजूद उसी अवधि को ओवरलैप करते हुए 8 से 16 मार्च 2021 तक के लिए पुनः 22,189 रुपए का भुगतान कर दिया गया। इसमें 8 से 11 मार्च की तिथियां दोहराई गई है यानी एक ही दिन की मजदूरी दो बार दी गई।
फरवरी, मई और जुलाई में भी दोहराए गए भुगतान
फरवरी 2021 में भी इसी तरह की अनियमितता दर्ज हुई। 13 से 15 फरवरी 2021 तक के कार्य के लिए 1,332 रुपए, और 13 से 18 फरवरी 2021 तक के लिए 5,595 रुपए का भुगतान किया गया। यानी 13 से 15 फरवरी की अवधि दो बार दिखाकर भुगतान किया गया। इसी तरह मई 2021 में भुगतान हुआ। 25 से 28 मई तक दो बार भुगतान- पहले 32,343 रुपए, फिर 14,723 रुपए।
21 से 23 मई तक भी दो बार भुगतान- 4,634 और 8,833 रुपए। जुलाई 2021 में यह फर्जीवाड़ा और बढ़ गया और 9 से 19 जुलाई, 13 से 21 जुलाई, और 17 से 30 जुलाई की अवधि के लिए तीन बार भुगतान दर्शाया गया। इसमें 17, 18, 19 जुलाई की मजदूरी तीन बार दी गई, जबकि 20 और 21 जुलाई की मजदूरी दो बार दी गई।
कलेक्टर से जांच की मांग- विभागीय मिलीभगत की आशंका
इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता शंकर वर्मा और आदित्य सिंह ने संपूर्ण दस्तावेजों के साथ राजनांदगांव कलेक्टर कार्यालय में शिकायत सौंपी है। दोनों ने मांग की है कि राज्य कैम्पा मद से हुए इस संदिग्ध भुगतान की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों पर वित्तीय गड़बड़ी का प्रकरण दर्ज किया जाए। मामले में शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति के भुगतान का मामला नहीं है बल्कि विभागीय मिलीभगत और फर्जी भुगतान का संगठित वित्तीय अपराध प्रतीत होता है जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।