खैरागढ़ नगर पालिका में फिर मचा सियासी घमासान

सत्यमेव न्यूज के लिए मनोहर सेन खैरागढ़। नगर पालिका की राजनीति में कांग्रेस एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में संगठन और पार्षदों की बैठक में बड़ा निर्णय लेते हुए नेता प्रतिपक्ष दीपक देवांगन को उनके पद से हटा दिया गया और दीपक की जगह वार्ड क्र.20 के पार्षद दिलीप लहरे को नया नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया गया।

शहर कांग्रेस अध्यक्ष भीखमचंद छाजेड़ ने स्पष्ट किया कि यह फैसला हल्के में नहीं लिया गया। छाजेड के अनुसार पद पर रहते हुए दीपक देवांगन संगठन और पार्षदों के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाए। कई जनहित के मुद्दों पर सहयोग की कमी और शहरी क्षेत्र में कांग्रेस को संभावित नुकसान को देखते हुए संगठन ने बदलाव को आवश्यक समझा है।

खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा
ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बिना सहमति बैठक लेकर दीपक को हटाना अनुचित है। विधायक ने संगठन के इस कदम पर अपनी तीखी आपत्ति जताई है और कहा है कि उनकी जानकारी और सहमति के बिना किसी बैठक में निर्णय लेकर नेता प्रतिपक्ष को हटाना लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। विधायक वर्मा ने साफ किया कि उनकी दृष्टि में अभी भी नगर पालिका में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दीपक देवांगन के पास ही है।

नेता प्रतिपक्ष बदले जाने के फैसले के बाद संगठन और विधायक आमने-सामने आ गए हैं इसके बाद यह घटनाक्रम कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान को सार्वजनिक कर गया है। एक ओर संगठन और कुछ पार्षद दिलीप लहरे के समर्थन में खड़े हैं तो दूसरी ओर विधायक का झुकाव साफ तौर पर दीपक देवांगन की ओर है। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल नगर पालिका की राजनीति तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि कांग्रेस की आंतरिक संरचना और नेतृत्व पर भी इसका असर पड़ सकता है।

खैरागढ़ नगर पालिका का यह विवाद कांग्रेस के लिए सिर्फ स्थानीय असहमति का मामला नहीं है। जिस तरह विधायक और संगठन आमने-सामने आए हैं, उससे पार्टी के भीतर समन्वय की कमी उजागर होती है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यदि यह खींचतान समय रहते नहीं सुलझाई गई तो इसका प्रभाव न केवल नगर पालिका की राजनीति पर बल्कि अगले साल होने वाले खैरागढ़ पालिका के आगामी निकाय चुनाव और 2028 में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की रणनीति पर भी पड़ सकता है।

Exit mobile version