खैरागढ़ के राहुद में खाप पंचायत जैसी मनमानी: महिला व उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। भारतीय संविधान में हर नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और गरिमा के साथ जीने का अधिकार मिला है लेकिन खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के ग्राम राहुद से सामने आया मामला संविधान व कानून की खुली अवहेलना का उदाहरण है। यहां एक महिला दुर्गा बाई वर्मा और उसके परिवार को गांव की तथाकथित पंचायत ने सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया और अवैध जुर्माना ठोक दिया जिसके विरुद्ध पीड़ित पक्ष ने गांव के अनूप लाल वर्मा पिता दीनदयाल वर्मा उम्र 62 वर्ष, गोरेलाल वर्मा पिता हेमराय वर्मा उम्र 55 वर्ष, बीरबल वर्मा पिता बनऊ वर्मा उम्र 60 वर्ष, वासुदेव वर्मा पिता बीरबल वर्मा उम्र 35 वर्ष, सखत वर्मा पिता नोहर वर्मा उम्र 50 वर्ष, जयलाल वर्मा पिता सुदर्शन वर्मा उम्र 55 वर्ष, सुदामा वर्मा पिता धुर्वा वर्मा उम्र 45 वर्ष, रामसिंह वर्मा पिता अग्राहिज वर्मा उम्र 60 वर्ष, बाबूलाल वर्मा पिता नोहर वर्मा उम्र 55 वर्ष, गजरू वर्मा पिता बनऊ वर्मा उम्र 65 वर्ष एवं देवशरण वर्मा पिता मनहरण वर्मा उम्र 45 के विरुद्ध लिखित में पुलिस थाने में शिकायत की है। आश्चर्य बात यह है कि पीड़ित पक्ष एवं पीड़ित करने वाले गांव के लोग एक ही बिरादरी लोधी समाज से संबंध रखते हैं।

आवेदिका दुर्गा बाई वर्मा का कहना है कि उसने तीन वर्ष पूर्व पुरनलाल वर्मा को गोद पुत्र बनाकर अपने घर में रखा। पुरनलाल खेती-बाड़ी व घरेलू कार्यों में सहयोग करता है। बाद में उसकी पत्नी दुलेश्वरी भी घर में रहने लगी। इसी पर कुछ ग्रामीणों ने आपत्ति जताते हुए 16 अगस्त 2025 को बैठक बुलाकर दुर्गा बाई व उसके पति दयानंद वर्मा पर 51 हजार रुपये का दंड ठोका और फरमान सुनाया कि यदि दंड नहीं दिया गया तो परिवार को गांव से निकाल दिया जाएगा। पूरा प्रकरण अवैधानिक सामाजिक बहिष्कार और प्रताड़ना से जुड़ा हुआ है। परिवार द्वारा जुर्माना देने से इनकार करने पर गांव के तथाकथित प्रभावशाली लोगों ने उनके खिलाफ बहिष्कार का ऐलान कर दिया है।

गांव के प्रभावशाली लोगों ने पीड़ित पक्ष के विरुद्ध खाप पंचायत जैसा निर्णय पारित करते हुए हुक्का पानी बंद कर दिया है। जिसमें राशन दुकानदारों को सामान न देने का आदेश सहित खेतों में मजदूरी व कृषि कार्य में सहयोग करने वालों को मना कर दिया गया है, पीड़ित पक्ष को लेकर नई को हजामत बनाने तक की पाबंदी लगाई गई है। यहां तक कि घर आने वाले मेहमानों पर भी जुर्माना ठोक दिया गया है वहीं पूजा-पाठ तक रोक दी गई और मंदिर में प्रवेश पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाया गया।
इस बहिष्कार से आवेदिका का परिवार मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से टूट गया है।

आवेदिका ने बताया कि उसे 10 वर्ष पूर्व भी इसी तरह की पंचायत में 15 हजार रुपये का दंड कर दंडित किया गया था। यानी ग्राम राहुद में खापनुमा व्यवस्था का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि इस अपराध के लिए संवैधानिक और कानूनी स्थिति क्या है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि खाप पंचायत या किसी भी समानांतर पंचायत को नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 503, 506 के तहत धमकी देना और डराना-धमकाना अपराध है। धारा 341 के अनुसार रास्ता रोकना या आवागमन में बाधा डालना अपराध है। धारा 383, 384 के अनुसार जबरन वसूली दंडनीय अपराध है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में भी सामाजिक बहिष्कार या सार्वजनिक अपमान गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
सुप्रीम कोर्ट (2018, शक्ति वाहिनी बनाम भारत सरकार मामले) में खाप पंचायतों द्वारा किसी भी प्रकार का सामाजिक बहिष्कार, जुर्माना या दंड देने को असंवैधानिक करार दिया गया है। अब पीड़िता दुर्गा बाई वर्मा ने पुलिस महानिदेशक, जिला पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी और राज्य मानवाधिकार आयोग को आवेदन भेजकर मांग की है कि
दोषियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए व
उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए। गांव में संविधान विरोधी खापनुमा बैठकों पर तत्काल रोक लगाई जाए। जरूरी है प्रशासनिक सख्ती हो।यह मामला सिर्फ एक महिला या परिवार का नहीं बल्कि संविधान और कानून व्यवस्था की प्रतिष्ठा का है। यदि ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो ग्रामीण क्षेत्रों में समानांतर न्याय व्यवस्था और सामाजिक बहिष्कार जैसी कुप्रथाएं मजबूत होंगी। अब निगाहें प्रशासन और पुलिस पर हैं कि क्या वे संविधान विरोधी खाप जैसी व्यवस्थाओं पर अंकुश लगाकर पीड़ित परिवार को न्याय दिला पाते हैं या नहीं।

मामले की शिकायत बाद दोनों पक्षो को थाने बुलाया गया था, पीड़ित पक्ष की समस्या सुनी गई है लेकिन ग्रामीण शिकायतकर्ताओं की बात का खंडन कर रहे है। जांच की जा रही है वहीं वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत से अवगत कराया गया है।

वीरेंद्र कुमार चंद्राकर, चौकी प्रभारी जालबांधा

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