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खैरागढ़ के दाऊचौरा में गूंजे ढोल-मांदर के स्वर

सत्यमेव न्यूज के लिए मनोहर सेन खैरागढ़। छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति और आस्था का प्रतीक गौरी-गौरा पर्व इस वर्ष भी वार्ड नंबर 17 दाऊचौरा में बड़े ही श्रद्धा, उत्साह और परंपरागत रंग में मनाया गया। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी वार्डवासियों ने विधि-विधान से गौरी-गौरा की स्थापना की और पूरे नगर में भक्तिमय वातावरण बना रहा। सुबह से ही महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में गौरी-गौरा की पूजा-अर्चना की। पूजा स्थल पर हरियाली, फुलवारी और मिट्टी के सुंदर प्रतिरूपों से सजी सजीव झांकी ने लोगों का मन मोह लिया। बच्चों और युवाओं ने भी इस पारंपरिक पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ढोलक, मांदर, नगाड़ा और तासे की थाप पर श्रद्धालु झूम उठे। पूरा इलाका गौरा-गौरा जय जय कारा के जयघोष से गुंजायमान रहा।

शाम को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ गौरी-गौरा विसर्जन यात्रा निकाली गई जिसमें वार्ड के साथ-साथ पूरे नगर के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। यात्रा में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक गीत-संगीत और नाच-गान ने उत्सव को और रंगीन बना दिया। दाऊचौरा सहित नगर के नया टिकरापारा गोकुल नगर, बरेठपारा, मोंगरा, अमलीपारा सहित खैरागढ़, छुईखदान, गंडई, साल्हेवारा, उदयपुर, जालबाँधा, अतरिया, पाड़ादाह व ठेलकाडीह सहित इलाके के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा एवं गौरी गौरा सहित मातर का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। खैरागढ़ में इस दौरान एसपी लक्ष्य शर्मा के निर्देश व जिला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में टीआई अनिल शर्मा के नेतृत्व में खैरागढ़ पुलिस प्रशासन सक्रिय और मुस्तैद नजर आया। पुलिस बल ने विसर्जन मार्गों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जिससे पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप से संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं ने पुलिस प्रशासन की तत्परता और सहयोग की सराहना की। स्थानीय नागरिकों ने कहा कि गौरी-गौरा पर्व केवल पूजा-पाठ नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की लोकपरंपरा, भाईचारे और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दाऊचौरा सहित नगर व खैरागढ़ जिले के ग्रामीण अंचल में यह पर्व पूरे नगर के लिए सौहार्द और भक्ति का संदेश लेकर आया।

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