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खैरागढ़ के जंगलों में दिखा दुर्लभ इंडियन ब्लू रॉबिन

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. खैरागढ़ जिले में जैव विविधता को लेकर एक नई और उत्साहजनक उपलब्धि सामने आई है। चार साल बाद इंडियन ब्लू रॉबिन (Indian Blue Robin) नामक दुर्लभ हिमालयन प्रवासी पक्षी फिर से यहां देखा गया है। यह पक्षी 30 अप्रैल 2025 को डोंगरगढ़ में प्रकृति प्रेमी प्रतीक ठाकुर को दिखाई दिया वहीं अप्रैल माह में ही भिलाई में एस.डी. बर्मन द्वारा इसकी उपस्थिति दर्ज की गई। बता दे कि इंडियन ब्लू रॉबिन एक अत्यंत दुर्लभ हिमालयी प्रवासी पक्षी है जो अक्टूबर में हिमालय से दक्षिण भारत की ओर प्रवास करता है और अप्रैल के अंत तक अपने प्रजनन स्थल हिमालय लौट जाता है। मध्य भारत में इस प्रवास काल के दौरान इसे देख पाना बहुत ही दुर्लभ होता है जिससे इसकी मौजूदगी जैव विविधता के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है। इससे पहले यह पक्षी 1991, 2020 और 2021 में रायपुर और 2015 में नारायणपुर में देखा जा चुका है।

इसी दौरान खैरागढ़ और डोंगरगढ़ के जंगलों में मालाबार पाइड हॉर्नबिल (Malabar Pied Hornbill) की भी बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज की गई है। यह विशाल और दुर्लभ पक्षी आमतौर पर घने जंगलों में पाया जाता है। खैरागढ़ डोंगरगढ़ क्षेत्र में इसे एक साथ 20 के झुंड में देखा गया है जो यहां की समृद्ध जैव विविधता का प्रमाण है। IUCN ने इस प्रजाति को संकटग्रस्त (Threatened) श्रेणी में रेड लिस्ट में शामिल किया है। खैरागढ़ व इसके आसपास के जंगलों में अब तक 295 पक्षी प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यह इलाका केवल पक्षियों के लिए नहीं बल्कि प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी एक अनमोल क्षेत्र बनता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि संरक्षण कार्यों को गति दी जाए तो यह इलाका भविष्य में भारत के प्रमुख बर्ड वॉचिंग डेस्टिनेशनों में शामिल हो सकता है।

दुर्लभ पक्षियों की मौजूदगी को लेकर इस क्षेत्र में पूरी तन्मयता से काम कर रहे पक्षी विशेषज्ञ
व फील्ड आर्निथोलॉजिस्ट प्रतीक ठाकुर का कहना है कि लगातार खैरागढ़ एवं राजनांदगांव जिले के इलाके में खासतौर पर खैरागढ़ एवं डोंगरगढ़ के जंगलों में जहां पानी की उपलब्धता है वहां लगातार दुर्लभ पक्षियों को देखा जा रहा है और उनके निवास एवं प्रजनन आदि तथा जैव विविधता को लेकर शोध कार्य भी हो रहा है। वर्तमान में मालाबार पाइड हॉर्नबिल पक्षी रानी रश्मि देवी जलाशय (छिंदारी बाँध) में दिखा है। इन इलाकों में खासतौर पर खैरागढ़ से होकर गुजरने वाली मैकल पर्वत श्रेणी में 2000 से अधिक विशेष प्रजाति के पक्षियों की पहचान हो चुकी है जो कि जैव विविधता के लिए एक अच्छा संकेत है। साल भर तक कुछ पक्षी यहां दिख भी कर रहे हैं और अपना आशियाना भी बना रहे हैं वहीं छत्तीसगढ़ में 4 साल बाद हिमालय से आने वाला इंडियन ब्लू रॉबिन पक्षी यहीं दिखा है। अगर प्रयास हुआ तो खैरागढ़ का इलाका इको टूरिज्म के लिए वरदान साबित हो सकता है।

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