खाद के लिये भटक रहें किसान और मुनाफा कमा रहे व्यापारी

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. खरीफ सीजन के चरम पर होने के बावजूद यूरिया और डीएपी खाद की भारी किल्लत ने जिले के किसानों को संकट में डाल दिया है। समय पर खाद न मिलने से फसल उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका गहराने लगी है। सेवा सहकारी समितियों में खाद की आपूर्ति न के बराबर है जिससे किसानों को खुले बाजार से महंगे दामों में खाद खरीदने मजबूरी हो रही है। जानकारी के अनुसार, जिले की सभी समितियों ने करीब 80 टन खाद की मांग एक महीने पहले ही भेज दी थी लेकिन अब तक पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो सकी है। पूर्व में मिली खाद सीमित मात्रा में ही वितरित हो सकी है जिससे बड़ी संख्या में किसान अब भी इंतजार में हैं।

जिला किसान कांग्रेस अध्यक्ष कामदेव जंघेल ने खाद संकट को लेकर सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुये कहा कि “किसान लगातार खाद की कमी से जूझ रहे हैं। विभाग को कई बार जानकारी देने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। भाजपा की साय सरकार में विभाग की लापरवाही और ढिलाई के चलते किसान दर-दर भटक रहे हैं और खाद माफिया मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि 266 रुपये वाली यूरिया किसानों को 500 से 550 रुपये में जबकि 1350 रुपये की डीएपी 1700 से 1800 रुपये में बेची जा रही है। इसके बावजूद शासन के प्रतिनिधि और प्रशासन के अधिकारी मूकदर्शक बने हुये है।

खाद विक्रेता किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर मनमाने दाम वसूल रहे हैं। किसान बताते हैं कि जब सोसायटी से खाद नहीं मिलती तो उन्हें ऊंचे दामों पर बाजार से खरीदनी पड़ती है। यह स्थिति न सिर्फ आर्थिक रूप से उन्हें कमजोर कर रही है बल्कि कृषि लागत में भी भारी बढ़ोत्तरी हो रही है।

कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि विजय वर्मा ने भी खाद की किल्लत और कालाबाजारी पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा “साय सरकार के कथित सुशासन में किसान रात-रात भर जागकर लाइन में खड़े हो रहे हैं और फिर भी दो-तीन गुना दाम देकर खाद खरीदनी पड़ रही है। सरकार व्यापारियों को लाभ पहुंचा रही है और किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।” जिले में किसानों के हित को लेकर किसान संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि प्रदेश की साय सरकार तत्काल खाद आपूर्ति सुनिश्चित करे और कालाबाजारी में लिप्त विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई करे। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। फिलहाल, खाद संकट का समाधान होते न देख किसान आशंकित और आक्रोशित हैं।

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