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क्षेत्र में धड़ल्ले से संचालित हो रहे अवैध ईंट-भट्ठे

सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. इन दिनों अवैध ईंट भट्ठों का काम अंचल में जोरो से चल रहा है. शहरी इलाके से अधिक आसपास के ग्रामीण इलाकों में बड़ी तादाद में इन अवैध ईंट भट्ठों का संचालन पर्यावरण को क्षति पहुंचा कर किया जा रहा है. ज्यादातर लोग स्वयं के लिये घर बनाने के बहाने बड़े पैमानें पर ईंट भट्ठों का संचालन कर रहे हैं और इसी का आड़ लेकर खुलेआम ईंटों की बिक्री भी की जा रही है, राजनीतिक सरंक्षण के कारण इन्हें प्रशासन की कार्यवाही तक का खौफ नहीं है. एक ओर शासन-प्रशासन लोगों को पेड़ बचाने और लगाने प्रेरित करती हैं जो कथनी करनी में फर्क बताती हैं, कुछ महीने बाद बारिश लगते ही पौधा-रोपण करने का आडम्बरपूरित अभियान महज अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिये फिर से किया जायेगा लेकिन अभी उन जीवित और पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देने वाले वृक्षों को बचाने कोई पर्यावरण प्रेमी नेता और अफसर सामने नहीं आते हैं. यह विडम्बना ही हैं कि अवैध रूप से ईंट भट्ठों संचालन के लिये बड़ी तादाद में हरे-भरे वृक्षों की अवैध कटाई की जा रही हैं और इस दिशा में कोई सार्थक कार्यवाही नहीं की जा रही. अवैध भट्ठों संचालन में केवल जुर्माना मात्र का प्रावधान होने के चलते ये अवैध कारोबारी बेखौफ होकर इसका संचालन कर रहे हैं और इनका हौसला चरम पर है. प्रशासन भी इस काम से निजात पाने कुछ एक भट्ठों संचालकों के विरूद्ध कार्यवाही कर उनसे जुर्माना लेकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रही है नतीजतन बेखौफ यह काम क्षेत्र में फलफूल रहा है. जानकारी के मुताबिक जिले में में ही लगभग 100 से अधिक अवैध ईंट भट्ठों का संचालन हो रहा है वहीं खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र स्तर पर यह आंकडा पचास से अधिक पार है, खैरागढ़, छुईखदान और गंडई सहित आसपास के क्षेत्रों में भी ढेरों ईंट भट्ठों का संचालन है जो मनमाने दर पर ईंट की बिक्री कर रहे हैं और अपने निहित स्वार्थ के लिये पर्यावरण को बर्बाद करने पर तुले हुये हैं. ज्यादातर भट्ठों का संचालन नदी के आसपास व ऐसे जगहों पर हो रहा है जहां पानी की सुविधा हो, पानी की अत्यधिक मात्रा में उपयोग होने से आम लोगों को पानी की समस्याओं से जुझना पड़ता है. बहते नदी की पानी को रोककर टुल्लू पंप के प्रयोग से पानी का उपयोग करते हैं जिससे नदी का स्त्रोत खत्म होता जा रहा है साथ ही ईंट बनाने के आड़ में अवैध उत्खनन का कार्य भी धड़ल्ले से किया जा रहा है. नदी किनारे की मिट्टी कहें या किसी उपजाऊ जमीन की मिट्टी का खनन कर उसे पाताल बना रहे हैं वह भी केवल अपने स्वार्थ के लिये. इतना कुछ होने के बाद भी अधिकारी-कर्मचारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुये हैं. जिन स्थानों पर पानी का भरपूर साधन नहीं है वहां बोर आदि से पीने के स्वच्छ पानी का उपयोग किया जाता है जिससे पेयजल की समस्या भी अलग-अलग इलाकों में बढ़ रही है. अवैध ईंट भट्ठों का संचालन करने वाले पेड़ कटाई करके समस्या तो उत्पन्न कर ही रहे हैं साथ ही पीने के शुद्ध जल का उपयोग बड़ी मात्रा में ईंट निर्माण में कर रहे हैं जो निकट भविष्य में एक तरह से बड़ी समस्या को आमंत्रण देना है. समय रहते इन अवैध ईंट भट्ठों संचालकों के विरूद्ध कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की गई तो ये पर्यावरण को बहुत बड़ी हानि पहुंचा सकते हैं जिसका जिम्मेदार शासन-प्रशासन ही होगा.

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