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केसीजी में श्री-सीमेंट की खनन परियोजना के खिलाफ उमड़ा जनसैलाब

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। श्री-सीमेंट की प्रस्तावित खनन परियोजना ने खैरागढ़-छुईखदान-गंडई क्षेत्र में भारी विरोध की लहर पैदा कर दी है। शुक्रवार को 25 गाँवों के हजारों ग्रामीणों का अभूतपूर्व जमावड़ा कलेक्ट्रेट परिसर पहुँचा जहाँ उन्होंने अपर कलेक्टर एवं प्राधिकृत अधिकारी सुरेन्द्र कुमार ठाकुर को विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए 11 दिसंबर 2025 को बुंदेली में निर्धारित पर्यावरणीय जनसुनवाई को तत्काल निरस्त करने की मांग रखी। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी और संबंधित एजेंसियाँ पर्यावरण प्रभाव आंकलन ईआईए कि प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं कर रही हैं और स्थानीय आबादी को परियोजना से जुड़े आवश्यक तथ्यों से जानबूझकर दूर रखा जा रहा है।

बताया जा रहा है कि सीमेंट फैक्ट्री खोलने को लेकर ग्रामीणों को अंधेरे में रखने की कोशिश की गई है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत स्तर पर कंपनी ने मात्र 10 पन्नों का अंग्रेज़ी में कार्यकारी सारांश उपलब्ध कराया है जबकि ईआईए अधिसूचना 2006 के अनुसार संपूर्ण रिपोर्ट स्थानीय भाषा हिंदी में देना अनिवार्य है। इसके बाद ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में वायु, गुणवत्ता, जन स्वास्थ्य पर प्रभाव, अपशिष्ट प्रबंधन, जल स्रोतों पर संभावित नुकसान, विस्फोटन से होने वाले कम्पन, धूल एवं प्रदूषण स्तर जैसे अति महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल ही नहीं किया गया है। मामले को लेकर ग्रामीणों ने यह भी कहा कि कंपनी की वेबसाइट पर परियोजना से संबंधित कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है जो पारदर्शिता की अनिवार्य शर्तों के बेहद विपरीत है।

सैकड़ो ग्रामीणों का पक्ष रखते हुए खैरागढ़ के पूर्व विधायक गिरवर जंघेल ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब जानकारी ही पूरी नहीं दी गई तो जनसुनवाई का औचित्य क्या बचता है? अंग्रेज़ी में घुमावदार रिपोर्ट देकर ग्रामीणों को गुमराह करने का प्रयास किया गया है जो ईआईए के नियमों का सीधा उल्लंघन है। ऐसे में अगर जिला प्रशासन जनसुनवाई रद्द नहीं करता तो किसानों के समर्थन में आंदोलन और अधिक उग्र होगा।

सीमेंट फैक्ट्री के विरोध में हजारों किसानों ने एक स्वर में कहा कि अधूरी अंग्रेज़ी आधारित और गैर-पारदर्शी रिपोर्ट के आधार पर जनसुनवाई आयोजित करना न तो विधिसम्मत है और न ही स्वीकार्य है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक संपूर्ण ईआईए कि रिपोर्ट हिंदी में उपलब्ध नहीं कराई जाती तब तक जनसुनवाई आयोजित करना स्थानीय समुदाय के साथ अन्याय होगा।

ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीणों का एक बड़ा दल 32 बंगला दुर्ग स्थित पर्यावरण विभाग के लिए भी रवाना हुआ जहाँ वे अपनी आपत्तियों, निहित चिंताओं और साक्ष्यों को विभागीय अधिकारियों के समक्ष विस्तार से प्रस्तुत करेंगे। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि वे अपनी भूमि, जल संसाधन, पर्यावरण और कृषि पर किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव बर्दाश्त नहीं करेंगे। कुल मिलाकर समवेत स्वर में कहा गया है कि फैक्ट्री नहीं खुलनी चाहिए अन्यथा उग्र आंदोलन होगा।

Satyamev News

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