वर्ष 2020 के आवेदन पर आज पर्यंत सीमांकन प्रक्रिया जारी
नियमानुसार सीमांकन की प्रक्रिया की जा रही है – तहसीलदार
विलास जाम्भुलकर
सत्यमेव न्यूज़/डोंगरगढ़. शहर के छीरपानी क्षेत्र में स्थित बेशकीमती कृषि भूमि का सीमांकन प्रक्रिया पूर्ण कराने के लिए डोंगरगढ़ सिविल न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य कर रहे कृषक समेलाल गिरी को राजस्व विभाग के विरुद्ध हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा. हाई कोर्ट द्वारा निर्देशित करने के बाद भी सीमांकन प्रक्रिया राजस्व विभाग द्वारा पूर्ण नहीं करने पर प्रार्थी द्वारा राजस्व विभाग के विरुद्ध हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की कार्यवाही के लिए हाई कोर्ट बिलासपुर में आवेदन लगाया गया है.
तहसील न्यायालय में पदस्थ तहसीलदार राजू पटेल ने बताया कि कृषक का समय पर सहयोग नहीं मिल पाने एवं बरसात के मौसम में अवरोध उत्पन्न होने के कारण सीमांकन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई है. जिसे शीघ्र ही पूर्ण कर लिया जाएगा. कोर्ट की अवमानना को लेकर प्रार्थी द्वारा जो शिकायत की गई है उसका जवाब, हाईकोर्ट में भेज दिया गया है. नजूल निरीक्षक द्वारा भी कृषक के समय पर सहयोग नहीं मिलने की बात कही गई है.
हाईकोर्ट के अवमानना का नोटिस भेजा कृषक ने – प्रेस को जारी विज्ञप्ति में शहर के वार्ड नंबर 8 निवासी कृषक व अधिवक्ता समेलाल गिरी ने बताया कि, उसने अपनी कृषि भूमि के सीमांकन का आवेदन मार्च 2020 को जिला कलेक्टर कार्यालय के समक्ष प्रस्तुत किया था. कलेक्टर द्वारा मई 2020 को सीमांकन हेतु तहसीलदार डोंगरगढ़ को निर्देश देते हुए कहा गया था कि टीम का गठन कर सीमांकन प्रक्रिया पूर्ण कर, जिला कार्यालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत करें.
प्रार्थी के आवेदन पर, राजस्व मंत्री की ओर से प्राप्त पत्र पर कार्रवाई करते हुए तहसील न्यायालय को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा भी मार्च 2021 को सीमांकन हेतु निर्देशित किया गया था. सीमांकन प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने पर व्यथित अधिवक्ता समेलाल द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष पूर्णरनिरीक्षण आवेदन 2022 को पत्र प्रस्तुत किया गया. फरवरी 2022 में बिलासपुर न्यायालय द्वारा निर्णय कर आदेशित किया गया कि तहसीलदार डोंगरगढ़ आदेश की प्रति प्राप्ति के पश्चात 3 माह के अंदर आवेदक की भूमि का सीमांकन कार्य पूर्ण करें. उसके बाद भी सीमांकन की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने पर कृषक द्वारा तहसीलदार के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही का आवेदन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है.
पेशे से अधिवक्ता के साथ ऐसा हो सकता है तो सामान्य किसान के साथ अधिकारी कैसा व्यवहार करते होंगे, समझा जा सकता है. शासन की ऐसी व्यवस्था के प्रति आक्रोश उत्पन्न हो रहा है.- अधिवक्ता व किसान समेलाल गिरी