सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा लम्बी प्रतीक्षा के बाद छत्तीसगढ़ में कला गतिविधियों की शुरुआत की गई. रंगमंच, संगीत और दृश्य कला में श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस कड़ी में 7 से 13 नवंबर को 10 चित्रकारों और 10 मूर्तिकारों का कला शिविर आयोजित किया गया. महंत घासीदास संग्रहालय परिसर में शिविर का आयोजन किया गया जहां कम समय में पूर्ण मनोयोग से अपनी-अपनी कृतियों को सृजित किया. शिविर के अंतिम दिन कलाकृतियों को प्रदर्शित भी किया गया. कला अकादमी संस्कृति परिषद के गठन से ही इस तरह के कार्यक्रमों की शुरुआत हुई है.
कला शिविर में सृजित कलाकृतियों की प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध कवि आलोचक अशोक वाजपेई मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुये. उन्होंने अपने उद्बोधन में कलाकारों को कला के क्षेत्र में कार्य करने के लिये प्रेरित किया और कहा कि प्रतिभा के साथ दृष्टि भी होनी चाहिये. हम किस समय में अपनी कला रच रहे हैं इसकी झलक दिखनी चाहिये. समाज में जो कुछ गलत हो रहा है उसकी हर तरीके से प्रतिरोध होना चाहिये. उन्होंने उम्मीद जताई है कि अब यहां के कलाकार अपनी बात कहने में सफल होंगे. कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी के प्रयास से कला मर्मज्ञों का ध्यान अब छत्तीसगढ़ के कला की ओर आकर्षित हो रहा है.
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से अध्ययन के बाद यहां के युवा कलाकार छत्तीसगढ़ छोडक़र अन्य महानगरों में अपनी कला साधना में लगे रहते हैं. पिछले 22 वर्षों से राज्य स्तरीय कोई आयोजन कला में नहीं हुई, व्यक्तिगत स्तर पर कुछ कला गतिविधि हुई है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ की भूमि में रहकर किशोर शर्मा, राजेंद्र सुंगरिया, रामकुमार, मनीष वर्मा, करुणा, राजेन्द्र, छगेन्द्र उसेंडी, धरम नेताम, हुकुमलाल वर्मा, जितेंद्र साहू, सन्दीप किंडो, राजेंद्र ठाकुर, दीक्षा साहू, चंचल साहू, निखिल तिवारी, प्रसंशा, अमनुल हक, विपिन सिंह राजपूत और मोहन बराल यहाँ की मिट्टी की महक को आत्मसात कर कार्य कर रहे हैं और समय-समय में राज् य से बाहर अपनी कला और सृजन को विश्व पटल पर रखकर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन कर रहे हैं.