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करंट लगने से आदिवासी युवक की हुई मौत को लेकर गोंडवाना समाज ने ज्ञापन सौंप जेई और एई के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग

सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. विद्युत विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से हुई आदिवासी युवक की मौत को लेकर जिले का आदिवासी समुदाय नाराज है। ज्ञात हो कि बीते शनिवार को कलेक्टर बंगले के सामने बिजली ट्रांसफॉर्मर में करंट लगने से युवक की मौत के मामले में विद्युत विभाग खैरागढ़ के जेई और एई के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग को लेकर गोंडवाना समाज ने थाने पहुँचकर पुलिस को ज्ञापन सौंपा हैं और दोनों अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग की गई हैं। थाना प्रभारी को सौंपे ज्ञापन में व गोडवाना समाज के जिलाध्यक्ष संतराम छेदैया, जयपाल सोरी, देवधर धुर्वे, मृतक का भाई हेमंत मंडावी सहित गोडवाना स्टूडेंट यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि करंट से संतोष मंडावी की मौत विद्युत विभाग के जेई सत्यम शर्मा, सहायक अभियंता (एई) संदीप सोनी व ठेकेदार अजय गजेन्द्र की लापरवाही के चलते हुई है। ठेका कर्मी मृतक संतोष मंडावी बिजली पोल लगाने, तार खींचने का अधिकृत कार्य करता था लेकिन उसे ट्रांसफॉर्मर में असंवैधानिक तरीके से चढ़ाकर कार्य करवाया गया। विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति में आदिवासी युवक संतोष की मौत घोर प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।

विद्युत विभाग के जेई सत्यम शर्मा और एई संदीप सोनी के खिलाफ गोंडवाना समाज ने आईपीसी की धारा 166, 166 क, 166 बी और 304 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है। कार्रवाई नहीं होने पर गोड़वाना समाज ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

करंट से मौत के मामले में बिजली ठेकेदार ने भी पल्ला झाड़ते इस घटना के लिए विद्युत विभाग के जेई और एई को जिम्मेदार ठहराते कहा कि बिजली विभाग ने उन्हें पोल शिफ्टिंग, तार लगाने, नए पोल गड़ाने जैसे कार्य दिए हैं। उसके पास मौजूद कर्मी सिर्फ यही कार्य करते हैं लेकिन शनिवार को ट्रांसफॉर्मर शिफ्टिंग के लिये विभाग के अधिकारी ने ही उनसे वर्कर मांगा था जबकि उक्त कार्य ठेके में नहीं किया जाता। मना करने पर भी काम छोटा होने का हवाला देकर अधिकारी ने कर्मचारी देने कहा था। ठेकेदार अजय गजेंद्र का कहना हैं कि उक्त कार्य उनके टेंडर में शामिल नहीं था। इसका कोई वर्क ऑर्डर भी नहीं किया गया था। अधिकारी के कहने पर ही ठेकेदार ने कर्मचारी भेजे जिसे ट्रांसफॉर्मर में चढ़ाया गया और करंट से उसकी मौत हो गई। पूरे मामले में एक बात स्पष्ट हो रही है कि नियमों के विपरीत निजी लाभ लेने के कारण दोषी अधिकारियों की गलती का खामियाजा आदिवासी युवक ने अपनी जान देकर चुकाया।

आदिवासी युवक की मौत के बाद पूरे मामले को आपसी सांठ-गांठ कर दबाने का भरसक प्रयास चल रहा है। बताया जा रहा है कि आदिवासी युवक की मौत व उसके शव के पोस्टमार्टम के बाद परिजनों सहित समाज ने न्याय की मांग करते हुए शव ले जाने से मना कर दिया था इसके बाद मृत आदिवासी युवक के परिजनों को विद्युत विभाग के अधिकारियों व ठेकेदार के द्वारा 1 लाख की सहायता राशि दी जाने की बात सामने आई है। अब तक पूरे मामले में पुलिस विभाग के द्वारा क्या कार्रवाई की गई है इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि पूरे मामले में लीपापोती कर दोषियों को बचाने का भरसक प्रयास चल रहा है।

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