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कथा नहीं कारोबार बनता जा रहा है सनातन- चाय वाले बाबा

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर ग्राम खैरबना में राजपरिवार के तत्वावधान में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह जहां एक ओर आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है वहीं दूसरी ओर आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री ‘चाय वाले बाबा’ के बेबाक वक्तव्यों ने देशभर में धार्मिक विमर्श को नई दिशा दे दी है। 3 जनवरी तक चलने वाले इस आयोजन में प्रतिदिन दोपहर 1 बजे कथा और सुबह 9 बजे दिव्य दरबार का आयोजन हो रहा है जिसमें छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।

पत्रकारों से बातचीत में आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री ने साफ शब्दों में कहा कि आज देश में सनातन हवा में तैर रहा है लेकिन धर्म और पाखंड के फर्क को समझना जरूरी है। पहले सौ लोग कथा सुनते थे तो उनके भीतर अध्यात्म जागता था आज लाखों सुन रहे हैं फिर भी अध्यात्म नहीं जाग रहा। उन्होंने कहा कि आज कथा श्रवण नहीं प्रदर्शन बनता जा रहा है और अध्यात्म की जगह आडंबर ने ले ली है।

आचार्य शास्त्रीय ने कथावाचकों द्वारा स्वयं को निःशुल्क बताने पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि लाखों की भीड़, हवाई यात्रा, पांच सितारा व्यवस्था और करोड़ों के पैकेज अपने आप में आडंबर का प्रमाण हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि चार हिंदुत्व की बातें कर लेना और दूसरे धर्मों पर टिप्पणियां कर हीरो बन जाना ये सब सनातन को आगे नहीं बढ़ाता।

कथा के दौरान राजनेताओं के स्वागत के लिए कथा रोके जाने की परंपरा पर आचार्य शास्त्री जी बेहद आक्रामक दिखे। उन्होंने इसे व्यासपीठ का अपमान करार देते हुए कहा कि कथा के बीच कोई कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो उसके सम्मान में कथा रोकना धर्म के साथ समझौता है। उनका कहना था कि आज धर्म में राजनीति घुस रही है जबकि होना यह चाहिए कि राजनीति में धर्म हो।

आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री ने तथाकथित संतों के चारों ओर बाउंसर, सुरक्षा घेरा और चकाचौंध को लेकर कहा कि दिखावा, सुरक्षा घेरा और वीआईपी कल्चर सच्चे संन्यास के खिलाफ है।

आचार्य ने पं.प्रदीप मिश्रा को लेकर बेहद स्पष्ट और कठोर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति फीस न मिलने पर पूरी कथा रद्द कर दे वह कथावाचक नहीं हो सकता। धर्म को व्यापार बना देना सनातन परंपरा के खिलाफ है। राजनांदगांव का उदाहरण देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि फीस न मिलने पर कथा रद्द करना अध्यात्म नहीं कारोबार है।

पं.धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम सरकार) को लेकर आचार्य ने कहा कि मेरी नजर में वे केवल कथावाचक हैं ज्योतिषी नहीं। उन्होंने चमत्कार और ज्योतिष में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि चावल देखकर भविष्य बताना मेरी सिद्धि और सनातन परंपरा का हिस्सा है जो सदियों से चली आ रही है। चमत्कार कुछ और होता है जबकि ज्योतिष कुछ और।

राजनीतिक भविष्यवाणियों पर कुछ सवालों के जवाब में आचार्य शास्त्री ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने से लेकर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चयन तक की घटनाओं की भविष्यवाणी वे पहले ही कर चुके हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री परिवर्तन के सवाल पर उन्होंने कहा कि गणना के बाद उत्तर दिया जाएगा। इस दौरान आयोजनकर्ता आयश सिंह बोनी ने आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री किसी भी प्रकार की फीस या दक्षिणा की मांग नहीं करते। उन्होंने बताया कि कथा से प्राप्त दान का उपयोग बाबा द्वारा बेटियों की शिक्षा और विवाह में किया जाता है। श्री सिंह ने बताया कि ग्राम खैरबना में 51 फीट ऊंचा धर्म ध्वज फहराया जाएगा जिसके लिये आचार्य ने स्वयं 2100 रुपये का दान दिया है। बहरहाल आस्था के मंच से पत्रवार्ता के दौरान उठे सबसे तीखे सवाल धर्म, अध्यात्म, राजनीति और कथावाचकों के बदलते स्वरूप पर आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री की यह प्रेस वार्ता सिर्फ बयान नहीं बल्कि सनातन की आत्मा को झकझोरने वाला सवाल बनकर उभरी है इसके बाद एक बार फिर बहस बढ़ सकती है कि क्या कथा अब साधना नहीं, साधन बनती जा रही है?

Satyamev News

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