इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का भ्रमण करने बेटी के साथ खैरागढ़ पहुंची मुख्यमंत्री की पत्नी
श्रीमती साय ने पुत्री संग गीत-संगीत सहित ललित कलाओं का लिया आनंद
श्रीमती साय ने लोकसंगीत की छात्राओं के साथ किया नृत्य
मूर्तिकला व डिजाईन विभाग में प्रिंटिंग व मूर्ति निर्माण कला से हुई परिचित
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय अपनी पुत्री के साथ विश्वविद्यालय का भ्रमण करने पहुंची। शुक्रवार को विश्वविद्यालय पहुंचते ही कुलपति सत्यनारायण राठौर सहित कलेक्टर चन्द्रकांत वर्मा, एसपी त्रिलोक बंसल एवं कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल, अधिष्ठाता लोकसंगीत योगेन्द्र चौबे एवं सहायक कुलसचिव राजेश गुप्ता ने श्रीमती कौशल्या साय का स्वागत किया। श्रीमती साय ने अपनी पुत्री के साथ विश्वविद्यालय का भ्रमण किया।
सर्वप्रथम चित्रकला विभाग में चित्रकला के छात्रों द्वारा बनाये गये आकर्षक चित्रों का आनंद लिया और छात्रों से बातचीत कर चित्रकला के संबंध में विस्तृत जानकारी ली। कैनवास पर उकेरी गई तस्वीरों को देखकर श्रीमती साय प्रफुल्लित हो उठीं। इसके पश्चात संगीत संकाय पहुंची जहां गायन एवं विभिन्न वाद्य यंत्रों की शिक्षा ले रहे छात्रों से मुलाकात कर विषय की जानकारी ली। विभाग प्रमुख नमन दत्त के द्वारा उन्हें अलग-अलग वाद्य यंत्रों के बारे में अवगत कराया गया। इस दौरान वें विदेश से संगीत व कला की शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे छात्रों से भी मिलीं और उनका कुशलक्षेम पूछ उनसे बातचीत की।
लोक संगीत की छात्राओं के साथ किया नृत्य
लोक संगीत संकाय में भ्रमण के दौरान श्रीमती साय पहले छात्रों की गीत-संगीत व नृत्य की प्रस्तुति देख प्रसन्न हो गई। इसके बाद छात्राओं की विशेष मांग पर उनके साथ छत्तीसगढ़ी गीत पर नृत्य किया और सांवरी सुरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया गीत का गायन भी किया। इसके पश्चात
नृत्य संकाय पहुंची जहां ओडिसी, कथक व भरतनाट्यम की छात्राओं से मुलाकात कर उनसे बातचीत की। ओडिसी, कथक व भरतनाट्यम के छात्र-छात्राओं के द्वारा नृत्य के माध्यम से नृत्यकला का परिचय दिया गया। नृत्य संकाय से श्रीमती साय सीधे दरबार हॉल पहुंची जहां विश्वविद्यालय के अधिकारियों के द्वारा दरबार हॉल के ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं की जानकारी दी वहीं संग्रहालय पहुंच संग्रहालयाध्यक्ष डॉ.आशुतोष चौरे ने उन्हें संग्रहालय में मौजूद प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं तथा वस्तुकलाओं की जानकारी दी। श्रीमती साय ने विश्वविद्यालय भ्रमण के दौरान होने वाली अपनी अनुभूति को शब्दों में पिरो विजिस्टर रजिस्टर में भी दर्ज किया। विवि के अधिकारियों के द्वारा उन्हें म्यूजियम से संबंधित पुस्तकें भेंट की गई तदुपरांत वह ग्रंथालय पहुंची जहां पुराने गीत संग्रह सहित पुस्तकों के अथाह भंडार को देखा और प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने ग्रंथालय में अध्ययनरत छात्रों से चर्चा भी की।
मूर्तिकला विभाग पहुंच प्रिंटिंग प्रक्रियाओं व मूर्ति निर्माण की कला को जाना
ग्रंथालय भ्रमण के बाद श्रीमती साय मूर्तिकला विभाग पहुंची जहां उन्होंने काष्ठ व मिट्टी की मूर्तियां बना रहे छात्रों से मुलाकात की और मूर्तिकला के संबंध में बारिकी से जानकारी प्राप्त की। छात्रों से बात करते हुये उनका परिचय भी जाना और उन्हें खूब मेहनत कर बेहतर शिक्षा ग्रहण करने प्रेरित किया। इसी तर्ज पर अलग-अलग पद्धति से कागज पर चित्र उकेरने वाली प्रिंटिंग प्रक्रिया (छापाकला) से भी वह परिचित हुई। अधिकारियों द्वारा टेराकोटा, लीथोग्राफी व अन्य पद्धति से प्रिंटिंग किये जाने की जानकारी दी गई। इस दौरान छात्रों द्वारा स्वयं के बनाये पोट्रेट व मूर्ति भी उन्हें भेंट की गई।
जैसा सुना था उससे कहीं ज्यादा पाया- श्रीमती साय
श्रीमती साय ने विश्वविद्यालय भ्रमण के बाद पत्रकारों से कहा कि जैसा सुना था उससे कहीं ज्यादा पाया। विश्वविद्यालय के छात्र हमारी संस्कृति व हमारी धरोहर को बचाने का कार्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के विभिन्न प्रांत तथा विदेशों से पहुंचकर छात्र गीत-संगीत, नृत्य व विभिन्न कलाओं के माध्यम से संस्कृति को सहेज कर रखे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य जगहों पर पहले से सृजित चीजों को देखते हैं परंतु यहां छात्रों द्वारा खुद सृजन किया जा रहा है जिसे देखना अद्भुत है। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों को जल्दी ही रायपुर कार्यक्रम में आमंत्रित करने की बात कही। श्रीमती साय के आकस्मिक संगीत नगरी आगमन से विश्विद्यालय के अध्यापक और छात्र बहुत उत्साहित नजर आये।