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धर्म

आज से नर्मदा मेला महोत्सव का आयोजन

सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. गंडई नगर से महज 7 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत चकनार के आश्रित गांव खैरा-नर्मदा में नर्मदा मेला उत्सव का तीन दिवसीय आयोजन आज से प्रारंभ हो रहा है. जिसकी तैयारी को लेकर जिला कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा एवं एसपी त्रिलोक बंसल ने बीते दिवस नर्मदा महोत्सव एवं उसमें लगने वाले मेले की तैयारियों के संबध में नर्मदा मंदिर प्रांगण में बैठक लेकर विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये कलेक्टर श्री वर्मा ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी नर्मदा मेला महोत्सव का आयोजन 22, 23 तथा 24 फरवरी

को आयोजित होगी. जिसमें अधिक संख्या में श्रद्धालु मेला देखने आते हैं. जिसकी सुचारू व्यवस्था के लिये अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. उन्होंने कहा कि नर्मदा मेला स्थल की तैयारी के संबध में जिन विभागों को जो भी दायित्व दी गई है. उन्हें पूरी निष्ठा से पूर्ण करे. उन्होंने संबंधित अधिकारियों से नर्मदा महोत्सव में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने कहा साथ ही मेला स्थल की प्रतिदिन साफ-सफाई के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी छुईखदान को निर्देश दिये. इसके अलावा उन्होंने पीएचई विभाग को पर्याप्त मात्रा में पेयजल और निस्तारी की व्यवस्था एवं राजस्व अधिकारियों को दुकान का आबंटन सुव्यस्थित ढंग से करने मेला स्थल में भोजन व्यवस्था के लिए खाद्य विभाग, मेला परिसर में बेरिकेटिंग के लिये पर्याप्त मात्रा में बांस एवं बल्ली के लिये वन विभाग, मंच आदि निर्माण के लिये लोक निर्माण विभाग, निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिये विद्युत विभाग तथा विकासखंड चिकित्सा अधिकारी को निशुल्क स्वास्थ्य जांच आदि के निर्देश दिये है. उन्होंने कहा कि नर्मदा कुंड की साफ सफाई अच्छे ढंग से हो. मंदिर परिसर के आस पास अवैध शराब बिक्री एवं परिवहन पर रोक लगाने आबकारी विभाग तथा आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था के लिये पुलिस प्रशासन को निर्देश दिये इस दौरान कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा एवं एसपी त्रिलोक बंसल ने नर्मदा मेला स्थल का निरीक्षण कर नर्मदा मेले की तैयारियों का जायजा लिया तथा बेहतर व्यवस्था के लिये दिये सम्बंधितों को निर्देश दिये. इस अवसर पर नर्मदा महोत्सव नोडल एवं एसडीएम रेणुका रात्रे, परियोजना निदेशक जितेन्द्र कुमार साहू, एसडीओपी गंडई प्रशांत खांडे, जनपद पंचायत छुईखदान सीईओ जेएस राजपूत, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता ललित वाल्टर तिर्की, विद्युत विभाग से छगन शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी फत्तेलाल कोशरिया, उद्यानिकी विभाग के प्रभारी अधिकारी रविन्द्र कुमार मेहरा, जिला खाद्य अधिकारी भुनेश्वर चेलक, जल संसाधन विभाग कार्यपालन अभियंता मनोज कुमार पराते सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों, नर्मदा मेला आयोजन समिति के सदस्य उपस्थित थे.

केसीजी जिला के गण्डई नगर से 7 किमी. दूर नर्मदा स्थित है. इस अंचल का प्रसिध्द मेला और स्थानीय लोगों की आस्था और श्रध्दा का केन्द्र बिन्दु है. नर्मदा की प्रसिध्दि नर्मदा कुण्ड से है. जहां से गर्म जल की अजस्र धारा अनवरत प्रवाहित होती है. ऐसी धारा जो कभी छिजने का नाम नहीं लेती. चाहे, कितनी भी गर्मी क्यों न हो. बारहों माह निरंतर वेग से प्रवाहित होती है. यहां आकर हजारों लोग पवित्र स्नान करते हैं और अपने को पुण्य का भागी बनाते हैं. लेकिन बीते कुछ वर्षो से जल की धाराएं थमने लगी है. नर्मदा कुण्ड ग्राम खैरा के पास स्थित है. कुण्ड की प्रसिध्दि के कारण एक और बस्ती बस गई है जिसे नर्मदा कहा जाता है. नर्मदा धार्मिक आस्थाओं का संगम स्थल ही नहीं बल्कि आवागमन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यहाँ से राजनांदगांव, डोंगरगढ़, बालाघाट, भोपाल, कवर्धा, जबलपुर और बिलासपुर के लिये सड़क साधन उपलब्ध है.नर्मदा कुण्ड के किनारे नर्मदा देवी का प्रसिध्द मंदिर है. शक्ति स्वरुपा और जीवन दायिनी नर्मदा देवी में चैत्र और कुंवार महीने में जंवारा बोया जाता है. जहाँ श्रध्दालु भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने तेल और घृत की ज्योति जलाते हैं. इसी समय डोंगरगढ का प्रसिध्द मेला भी होता है. अत: इस मार्ग से डोंगरगढ जाने वाले दर्शनार्थी नर्मदा मइया के दर्शन कर दोहरे पुण्य के भागी बनते हैं. नर्मदा में नर्मदा मइया के अतिरिक्त राम मंदिर, कृष्ण मंदिर, लोधेश्वर (शिव) मंदिर, कबीर, कुटीर व बाबा गुरुघासी दास का जैतखाम दर्शनीय है. लोगों का कहना है कि नर्मदा का मंदिर लगभग तीन-चार सौ साल पुराना है. किन्तु यहां रखी प्रस्तर प्रतिमाएँ कल्चुरि कालीन 10वीं-11वीं ई. की है. इन मूर्तियों का शिल्प वैभव बड़ा सुन्दर और कलात्मक है. इनमें प्रमुख गणेश, वीरभ्रद, देवी नर्मदा, बैकुण्ठधाम आदि प्रमुख हैं. अलंकृत नंदी की प्रतिमा, शिव लिंग व जलहरी भी यहाँ स्थापित है. नर्मदा मंदिर के शिखर व जंघा भाग में मध्य कालिन कुछ मूर्तियाँ विद्यमान है. इनमें रावण, कच्छपावतार, मतस्यवतार, नर्सिंह अवतार का सुंदर अंकन है. अत: नर्मदा मंदिर का अपना पुरातात्विक महत्व भी है.नर्मदा का प्रसिद्ध मेला प्रतिवर्ष माघ-पूर्णिमा को तीन दिनों तक भरता है. जहाँ लोग हजारों की संख्या में नर्मदा स्नान व नर्मदा मैया के दर्शन के लिए आते हैं. यह इस अंचल का सबसे बड़ा मेला है. कहा जाता है कि खैरागढ रियासत मे माँ नर्मदा के परम भक्त एक साधु थे. वे अक्सर नर्मदा स्नान के लिए पैदल मंडला जाया करते थे. पर्व विशेष में तो उनकी उपस्थिति मंडला में अनिवार्य होती थी. साधु की इस भक्ति से नर्मदा बड़ी प्रभावित हुई. नर्मदा मइया ने साधु की भक्ति से प्रसन्न होकर कहा – ”बेटा तुमने मेरी बड़ी भक्ति की है. मैं तुम से प्रसन्न हूं. तुम इतनी दूर चलकर आते हो, तुम्हारी पीड़ा मुझसे देखी नही जाती. इसलिए मैं स्वत: तुम्हारे नगर में आकर प्रकट होऊंगी. साधु नर्मदा मइया की इस महती कृपा से गदगद हो गये और अपने स्थान पर आकर नर्मदा माँ के प्रकट होने की प्रतीक्षा करने लगे. इधर नर्मदा मइया एक साधारण स्त्री का रुप धारण कर खैरागढ के लिए प्रस्थान हुई. दिनभर चलती, रात को विश्राम करती. फिर प्रात: अपने गन्तव्य को चल पड़ती. पहेट के समय एक राऊत (यादव) अपनी गायों को पछेला” ढीलकर वहाँ चरा रहा था. जहाँ वर्तमान में नर्मदा कुण्ड है. छ्त्तीसगढ में राऊत मुंदरहा (भिनसरे) अपनी गायें ढीलकर चराता है. इस चरवाही को पछेला कहा जाता हैं. इसी समय नर्मदा मइया यहां से गुजर रही थी. संयोगवश राऊत की एक गाय खेत में चरने लगी. उस गाय का नाम भी नर्मदा था. राऊत ने कहा- “ये नर्मदा कहाँ जाबे?”अपना नाम सुनकर नर्मदा मइया ठिठक गई. उसने राऊत से पूछा-“भईया यह कौन सा गाँव है? राऊत ने कहा – खैरा. खैरा नाम सुनकर नर्मदा मैया ने सोचा, शायद यही तो उसका गंतव्य है. खैरा सुनकर नर्मदा मैया उसी स्थान पर ठहर कर जलधारा के रुप में धरती से फ़ूट पड़ी. खैरा और खैरागढ़ में गढ़ को छोड़ दें तो प्रथमत: खैरा ही है. कहा जाता है कि खैरागढ़ का नामकरण भी खैर वृक्षों की अधिकता के कारण ही हुआ है. तब से नर्मदा मैया यहाँ मूर्ति के रुप में स्थापित है एवं गर्म जलधारा के रुप में प्रवाहित है. चूंकि नर्मदा की जलधारा का प्रवाह-स्थान गंडई जमींदारी में है, अत: तत्कालीन गंडई जमींदार ने उक्त स्थान पर भव्य मंदिर एवं कुण्ड का निर्माण कराया. यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान नर्मदा कुण्ड से दस कदम दक्षिण में एक नाला है, जो तत्कालीन छुईखदान रियासत की सीमा रेखा है. नर्मदा मैया खैरागढ़ तो नहीं जा पाई फ़िर भी माँ की इस कृपा से साधू एवं खैरागढ़ नरेश अतिआनंदित हुये. नर्मदा कुण्ड से खैरागढ़ की दूरी 26 किलोमीटर है.

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