दीवाली के बाद अंचल में फिर से शुरू हुआ किसानी कार्य
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. दीवाली त्यौहार निपटते ही अंचल में किसानी कार्य शुरू हो गई है, किसान इस समय खेतों में धान सहित सोयाबीन व अन्य दलहनी फसलों की कटाई और मिंजाई में जुट गये हैं. धान की फसल पूरे क्षेत्र में लगभग पककर तैयार हो चुकी है कुछ सरना धान हैं जो अभी अधपके हैं. कुछ एक जगहों पर खेतों में पानी भरे होने से धान कटाई में परेशानी जरूर हो रही है लेकिन धान कटाई के लिये पानी सूखाने कृत्रिम सहित अन्य उपाय भी किसानों द्वारा किया जा रहा है वहीं चना की बुवाई के लिये भर्री में जोताई का काम भी अपना गति पकड़ लिया है. हालांकि कई क्षेत्रों में धान कटाई का कार्य शुरू हो चुका है परंतु मजदूरों की कमी के कारण काम जोर नहीं पकड़ पाया है. पाठकों को बता दे कि इस साल छत्तीसगढ़ सरकार ने आगामी 1 नवम्बर से धान खरीदी करने का ऐलान किया हैं और अब त्यौहार के बाद लगभग सभी किसानों का धान पक चुका है जिसकी वजह से क्षेत्र में मजदूरों की भी काफी दिक्कतें हो रही है जिस वजह से किसान धान कटाई का काम भी नहीं कर पा रहे हैं वहीं जो मजदूर मिल रहे हैं उन्हें अधिक दामों में काम कराने ले जाया जा रहा है.
अधिक बारिश के कारण किसानों की फसल हुई खराब
इस साल किसान सबसे ज् यादा बेमौसम हुई बारिश से प्रभावित हुआ है. असमय बारिश के चलते किसानों को सोयाबीन सहित अन्य फसलों में काफी नुकसान उठाना पड़ा. अभी भी कई खेतों में बारिश का भरा पानी सूख नहीं पाने से कटाई में दिक्कत बनी हुई है. पानी सूखाने और कटाई के बाद धान की बालियो को रखने काफी देखरेख करना पड़ रहा है. जिन किसानों के खेत सूख चुके हैं वे सीधे हारवेस्टर से धान की कटाई कर रहे हैं जिससे उनका काम तेजी से हो रहा है. ज् यादातर किसानों का धान खेत में गिर चुका है, विगत दिनों हुई बारिश से लगभग किसानों का धान खेत में ही गिर गया है और पानी भरे होने की वजह से सडऩे के कगार पर भी पहुंच चुका है लेकिन किसान सावधानी बरतते हुये अपनी फसलों को काट रहे हैं और उन्हें सूखा रहे हैं.
सोयाबीन पर सबसे ज्यादा मार
बारिश का सबसे ज् यादा कहर सोयाबीन फसल पर पड़ा है, सोयाबीन की फसल लगभग बर्बाद हो गई है. अधिकांश जगहों पर सोयाबीन की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है. थोड़ी बहुत फसल पाने वाले किसानों को भी औने-पौने दामों में सोयाबीन बेचना पड़ रहा है. अब नये सिरे से रबी की फसल को लेकर किसानों की उम्मीद बंधी हैं खासतौर पर सोयाबीन के नुकसान की भरपाई चने की फसल से हो जाये ऐसी आश बंधी हुई हैं.