हम कहानियों पर रिसर्च नहीं सर्च कर रहें हैं- फिल्मकार मिश्रा

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के रंगमंच विभाग द्वारा आयोजित पटकथा लेखन संवाद कार्यक्रम में प्रसिद्ध फिल्मकार अशोक मिश्रा ने छात्रों से नाटकों के लेखन व इसकी प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा की। दो दिवसीय आयोजित कार्यशाला में श्री मिश्रा ने छात्रों से कहा कि हम जब समाज के बीच की कहानियों को समझकर उसे संवाद लेखन के माध्यम से उकेरते हैं तो हमें जीवन की व्यथा से अवगत होना होता है और इसके लिए रंगमंच एक बेहतर जरिया हो सकता है। जिस तरह वक्त के साथ रंगमंच की विधा में भी बदलाव आया है हमें उसके मूल स्वरूप को संरक्षित रखने के लिए एक दिशा में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस समय हम कहानियों को लेकर रिसर्च नहीं केवल सर्च कर रहे हैं, इस कारण बेहतर कहानियाँ समाज के बीच नहीं आ पा रही है। रंगमंच को लेकर बेहतर संभावनायें बनी होती है और लेखन भी एक अच्छा स्वरोजगार का जरिया हो सकता है। आप जितना बेहतर लेखन करते हैं उतना बेहतर उन विषयों की समझ होती है जिसे आप रंगमंच के माध्यम से नाटकों में प्रस्तुत करते हैं। नेशनल अवार्ड विजेता, लेखक व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र अशोक मिश्रा ने आगे कहा कि समय के साथ तकनीक का प्रभाव हर क्षेत्र में बढ़ा है जिससे थियेटर भी अछूता नहीं रहा है। इसलिए हमें मौजूदा वक्त के हिसाब से थियेटर कला के हर पक्ष पर विचार करना चाहिए। थियेटर को सजीव रखने के लिए आप सबकी भूमिका अहम होगी। भारत एक खोज, सुरभि, वेल्डन अब्बा, समर, वेलकम टू सज्जनपुर सहित कटहल जैसे फिल्मों के लेखक अशोक मिश्रा ने दो दिनों तक खैरागढ़ विश्वविद्यालय में छात्रों से संवाद किया। विभागाध्यक्ष डॉ.योगेन्द्र चौबे ने कहा कि हम सबके लिए यह सौभाग्य का पल है कि देश के ख्यातिमान लेखक व हमारे मार्गदर्शन अशोक मिश्रा हम सबसे सार्थक संवाद कर रंगमंच की विधा में आ रहे बदलाव व नवीनता के बारे में अपने अनुभवों को साझा किया। इस तरह का सार्थक संवाद हम भविष्य में भी विश्वविद्यालय परिसर में करते रहेंगें। यह हम सबकी एक कार्य योजना है जिस पर विश्वविद्यालय प्रबंधन का पूरा सहयोग है। उन्होंने फिल्मकार अशोक मिश्रा सहित विश्वविद्यालय प्रबंधन का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर रंगमंच विभाग के छात्र-छात्रायें मौजूद रहे।

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