सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. विधिक जागरूकता शिविर के तहत खैरागढ़ (सलोनी) उपजेल पहुंचकर न्यायाधीश ने विचाराधीन बंदियों को विधिक जानकारी दी। सर्वप्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चन्द्रकुमार कश्यप ने उपजेल के विचाराधीन बंदियों को बाबा गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं दी और प्ली बारगेनिंग के संबंध में बताया कि किसी व्यक्ति द्वारा किया गया ऐसा अपराध
जिसकी सजा 7 साल या उससे कम है या अभियुक्त ने पहली बार अपराध किया है, वह अपनी सजा कम करने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन कर सजा में सौदेबाजी कर सकता है। छोटे अपराधों में पीड़ित और अभियुक्त आपसी सामंजस्य से सौदेबाजी कर सकते हैं। अगर कोई आरोपी अपनी गलती स्वीकार करता है तो उसे कम सजा दी जाती है लेकिन प्ली बारगेनिंग का लाभ किसी भी विचाराधीन आरोपी को एक बार ही मिल सकता है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेक गर्ग ने निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सहायता के संबंध में बताया कि यह कानून निःशुल्क विधिक सहायता को मूर्तरूप देता है। यह कानून ऐसे व्यक्ति जो निर्धनता या जाति, पंथ या लिंग संबंधी संवेदनशीलता के कारण कोई मामला दर्ज करने या मामले का बचाव करने के लिए एक वकील की सेवा लेने में समर्थ नहीं हैं उनको कानूनी सहायता प्रदान करता है ताकि न्यायालय में उन्हें भी वकील की सेवा मिल सके। जो विचाराधीन बंदी अपने वेयर से अधिवक्ता नियुक्त करने में समर्थ नहीं हैं वह अपना एक आवेदन ताल्लुक विधिक सेवा समिति के द्वारा जेल अधीक्षक के माध्यम से समिति में प्रस्तुत कर सकते हैं जहां से आपको आपके केस में पैरवी करने अधिवक्ता निःशुल्क नियुक्त किया जाता है। जुडिशल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास गुरु प्रसाद देवांगन ने विचाराधीन बंदियों के अधिकारों के बारे में बताया कि कानून के मुताबिक किसी भी शख्स को तब तक गुनाहगार नहीं माना जा सकता जब तक कि कोर्ट आरोपी को दोषी नहीं मानता। जब भी किसी शख्स के खिलाफ कोई आरोप लगाया जाता है तो वह आरोपी होता है और जब उक्त शख्स का केस अदालत के सामने आता है तब उसका यह संवैधानिक अधिकार है कि उसे अपने बचाव का मौका मिले। पैरालीगल वालेंटियर गोलूदास साहू ने 8 मार्च 2025 को आयोजित होने वाले नेशनल लोक अदालत के बारे में बताया। अंत में डीजे श्री कश्यप द्वारा विचाराधीन बंदियों का हालचाल पूछा गया और उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली गई। इस दौरान उनकी समस्याओं को सुना गया और पाक शाला का भी निरीक्षण किया। न्यायाधीश ने विचाराधीन बंदियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग और मेडिटेशन कराने निर्देशित किया गया। शिविर में जेल अधीक्षक योगेश कुमार बंजारे, पीएलवी गोलूदास साहू एवं सिपाही प्रेम सागर साहू, चुरामन कुर्रे, सोहन, फार्मासिस्ट जागेश्वर वर्मा, अखिलेश जायसवाल सहित विचाराधीन बंदी उपस्थित रहे।