सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. संगीत नगरी में संविधान दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ, आम्बेडकर चौक में आयोजित समारोह में विशेष वक्ता के रूप में उपस्थित साहित्यकारों, विधि विशेषज्ञों व समाजसेवियों ने भारतीय संविधान के निर्माण, भारत रत्न डॉ.भीमराव आंबेडकर के योगदान व वर्तमान परिवेश में संविधान की देश में प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुये भारतीय संविधान को सबसे महान बताया. इस दौरान विशेष तौर पर संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर की स्थापित प्रतिमा में माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया और कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.
प्रमुख वक्ताओं में क्षेत्र के विधि विशेषज्ञ ठाकुर सुभाष सिंह, साहित्यकार डॉ.जीवन यदु, वरिष्ठ अधिवक्ता कमलाकांत पाण्डेय, समाज सेवी भागवत शरण सिंह ने संबोधित किया. समारोह का सफल संचालन जिपं सभापति विप्लव साहू ने किया. समारोह का शुभारंभ इकरा फाऊंडेशन की प्रतिभावान छात्रा माही वर्मा एवं समूह द्वारा संविधान प्रस्तावना के वाचन के साथ किया गया. प्रमुख वक्ता सुभाष सिंह ने कहा बाबा साहेब को संविधान समिति प्रमुख का जिम्मा देते हुए गांधी जी ने कहा था कि उनसे उपयुक्त व्यक्ति भारत में अभी कोई नहीं है। भारतीय संविधान लाल गठरी में बांधने के लिये नही है इसे पढ़ने की जरूरत है, यह ठीक ढंग से अमल में नही हो पाया है, तब के नेता डॉ.आंबेडकर के सिद्धांत को मानते थे अब के नेता और देश उनकी अवमानना कर रहे हैं, इसलिये भारत का लोकतंत्र कमजोर हुआ हैं. साहित्यकार डॉ.जीवन यदु ने अपनी बहुचर्चित कविता का पठन करते हुये कहा कि 3 चरणों कर्तव्य, अधिकार और इम्प्लीमेंटेशन को पूरा करने से ही देश में संविधान के उद्देश्य की प्रतिपूर्ति हो सकती है. एक तरफ हमारा संविधान हमें आजादी के साथ जीने का हक देता है, तो दूसरी तरफ हमारे कुछ मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाता है. वरिष्ठ अधिवक्ता कमलाकांत पांडेय ने कहा कि हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा और महान संविधान है, जिसे बनाने में करीब 3 साल लगे. संविधान में देश के सभी नागरिकों को मूल अधिकार मिले हैं जिसके तहत कोई भी नागरिक किसी भी धर्म को मान सकता है, कहीं भी आ जा सकता है, समानता का अधिकार प्राप्त है. भागवत शरण सिंह ने कहा कि बाबा साहब की प्रतिमा के पास आकर हमे ऊर्जा मिलती है, बाबा साहब का जो न्याय का सिद्धांत था और उनका दर्शन था कि सारा समाज एक स्थान पर एक साथ खड़ा हो सके. 75 साल बाद 2015 में पहली बार देश में संविधान दिवस मनाया गया. राष्ट्रीय पर्वों की तरह यह दिन भी महत्वपूर्ण है और हमें अपने संविधान को जानने समझने की आवश्यकता है. सामाजिक चिंतक संदीप कोल्हाटकर ने कहा कि बाबा साहब के बनाये इस संविधान के बदौलत ही आज हम सभी बराबरी पर खड़े हैं. संविधान से ही आम लोग नेता-अधिकारी, कलेक्टर बन रहे हैं ये बाबा साहब की देन है. समारोह में एसडीओपी लालचंद मोहले व टीआई खैरागढ़ राजेश देवदास ने भी उपस्थित जन समुदाय को संविधान दिवस की बधाई दी. इस अवसर पर विशेष तौर पर समाजसेवी गुलाब चोपड़ा, शीतल जैन, अधिवक्ता मनराखन देवांगन, ज्ञानदास बंजारे, नगर पालिका के नेता प्रतिपक्ष अजय जैन, बौद्ध समाज के वरिष्ठ मंशाराम सिमकर, संरक्षक मधुकर चौखान्द्रे, डॉ.संतोष मारिया, बहादुर कुर्रे, राजू यदु, इकरा फाउंडेशन के संयोजक खलील कुरैशी, आप नेता मनोज गुप्ता, पीआरओ डॉ.मकसूद अहमद, मानव अधिकार संगठन की राजलक्ष्मी तिवारी, शिवानी परिहार, नेत्र अधिकारी दुर्गेशनंदनी श्रीवास्तव, बौद्ध समाज के अध्यक्ष उत्तम बागडे, बौद्ध समाज महिला अध्यक्ष कविता नागदेवे, छाया चौरे, मीना चोखान्द्रे, जयमाला बागड़े, कमलेश बोमले, शशि रामटेके, विमल बोरकर, निलेश यादव, प्रशांत सहारे, मंगल सारथी, राजकुमार दुबे, नीतू रामटेके सहित नागरिकगण उपस्थित रहें.