नल-जल योजना ने बिगाड़ी गातापार जंगल के गलियों की दशा

सीसी रोड की खुदाई कर पाईप लाईन का किया विस्तार

बीच रोड में खनन से चलने लायक नहीं रहा सीसी रोड
तीन माह बाद भी पूरा नहीं हुआ नल-जल का कार्य

सडक़ की दुर्दशा से बीते तीन माह से ग्रामीण हैं परेशान
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. वनांचल ग्राम गातापार जंगल में जारी नल-जल योजना के तहत हुये पाईप लाईन विस्तार से गांव के गलियों की दशा बिगड़ गई है, बीते तीन माह से गांव में बने सीसी रोड के बीचो-बीच पाईप बिछाने गड्ढे खोदे गये हैं जहां पाईप बिछाकर उसमें मिट्टी डाल दिया गया है जिसके कारण गलियों में कीचड़ भरा पड़ा है, हालात यह है कि ग्रामीणों का मार्ग में चलना मुश्किल हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि तीन माह पहले किये गड्ढे को अब तक कांक्रिट नहीं किया गया है, बारिश लगते ही गांव की गलियों में कीचड़ भर गया है जिसके कारण कुछ गलियों में पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. बीच सडक़ की खुदाई होने से सडक़ के दोनों ओर वाहन चलाने के लिये पर्याप्त जगह नहीं है जिसके कारण कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो चुके हैं ऐसे में ग्रामीणों को असुविधाओं के बीच आवागमन करना पड़ रहा है. कुछ लोग तो दुर्घटना के डर से इस मार्ग पर सायकल या गाड़ी चलाने से भी डरते हैं और पैदल आना-जाना करते हैं. ग्रामीणों को बेहतर सुविधा प्रदान करने गलियों को कांक्रिट किया गया था लेकिन नल-जल योजना के तहत हुई खुदाई से गातापार की पूरी गलियां खराब हो चुकी है, हालात यह है कि इस मार्ग में पैदल भी नहीं चला जाता.

अब तक नहीं हुआ पानी टंकी का निर्माण
ग्रामीणों का कहना है कि बीते तीन माह पहले घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने गांव में पाईप लाईन बिछाया गया है लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी पानी टंकी का निर्माण नहीं हो पाया है. ठेकेदार के द्वारा बीच रोड की खुदाई की गई है जिसके कारण गांव की गलियां अब चलने लायक नहीं है. नल-जल योजना ग्रामीणों के लिये बेहतर योजना है लेकिन योजना के तहत पहले पानी टंकी का निर्माण किया जाना था उसके पश्चात पाईप लाईन का विस्तार किया जाना था. तीन माह से पाईप लाईन विस्तार कर गलियों की खुदाई की गई है जिसे अब तक कांक्रिट नहीं किया गया है जिसके कारण अब गलियों में कीचड़ जमा होने के कारण दलदल बनता जा रहा है जहां लोग पैदल भी नहीं चल पा रहे हैं ऐसे में ग्रामीणों को बेवजह परेशान होना पड़ रहा है. तीन माह बाद भी पानी टंकी का निर्माण अधूरा है ऐसे में ग्रामीणों को एक-दो माह और परेशान होना पड़ सकता है.