सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर विधिक जानकारी दी गई। इस अवसर पर एडीजे श्री कश्यप ने खास तौर पर कहा कि बच्चे से काम करवाने के बदले उसे पैसे देकर या खाना देकर हम उस पर कोई एहसान नहीं करते हैं बल्कि हम उस के भविष्य से खेलते हैं। जानकारी अनुसार मंथली प्लान एक्शन के तहत अध्यक्ष सुषमा सावंत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार और तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ एवं सचिव हेमंत कुमार रात्रे के द्वारा 12 मई को ग्राम कुम्ही और कोयलीकछार में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर विशेष कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जहां मनरेगा कार्य कर रहे मजदूरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्र कुमार कश्यप ने बाल श्रम के बारे में बताते हुये कहा कि बाल श्रम हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही गम्भीर विषय है। आज समय आ गया है कि हमें इस विषय पर बात करने के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारियाँ भी समझनी होगी। इससे बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएँ आती हैं। बाल श्रम भारत के साथ-साथ सभी देशों में गैर कानूनी है। जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हैं, उनसे उनका बचपन, खेल-कूद, शिक्षा का अधिकार छीनकर, उन्हें काम में लगाकर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर, कम रुपयों में काम करा कर शोषण करके, उनके बचपन को श्रमिक रूप में बदल देना ही बाल श्रम कहलाता है। हमें हमेशा इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे से काम करवाने के बदले उसे पैसे देकर या खाना देकर हम उस पर कोई एहसान नहीं करते हैं बल्कि हम उस के भविष्य से खेलते हैं। बाल श्रम को खत्म करने के लिए सबसे पहले हमें अपनी सोच को बदलना होगा। आगे व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी गुरु प्रसाद देवांगन ने कहा कि
बाल मज़दूरी का सबसे बड़ा कारण हमारे देश में गरीबी और लोगों का अशिक्षित का होना है। गरीब परिवार के लोग अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ होते हैं, इसलिए वे अपने बच्चों को बाल मज़दूरी के लिए भेजते है। जिन बच्चों को बाल मज़दूरी के काम में लगा दिया जाता है वह कभी भी खेल नहीं पाते हैं और अपना मनचाहा काम नहीं कर पाते है। जिसके कारण उनका पूरा बचपन मजदूरी के काम करने में बीत जाता है। बच्चे देश के भविष्य होते हैं अत उनकी शिक्षा और परवरिश बेहतर हो इसके लिए हम सभी को प्रयास करने की जरूरत है। आगे पीएलवी गोलू साहू ने बताया कि
बाल श्रम अधिनियम 1986 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय के उद्देश्य से 14 बर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य कराता है, तो उस व्यक्ति को 2 साल की सज़ा और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने सरपंच विशाखा साहू, समाजसेवी टीमन साहू, पीएलवी गोलू दास, तरोज, अनीता सहित बड़ी संख्या में मजदूर उपस्थित थे।