वन मण्डलाधिकारी के नवाचार से कटंग बांस की कटाई हुई आसान, बढ़ेगा उत्पादन

सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. बांस के उत्पादन व विदोहन के लिए खैरागढ़ वन मंडल में नया प्रयोग किया जा रहा हैं। गौर करें कि प्राकृतिक रूप से बांस के उत्पादन के लिए खैरागढ़ वन मंडल की जलवायु प्रारंभ से ही बेहद अनुकूल रही है लेकिन इस दिशा में नए प्रयोग और प्रयास के अभाव में बांस का उत्पादन उस तरह से नहीं हो पाया जैसी यहां इसकी अनुकूलता रही है। ख़ासतौर पर खैरागढ़ के जंगलों में कटंग बांस का उत्पादन बेहतर होता रहा हैं, यहीं नहीं अंचल में किसान भाई भी अपने खेतों की मेड़ तथा बाड़ीयों में कटंग बांस का उत्पादन करते रहे हैं जो उनके आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनिवार्य रहा है। लेकिन अब वन मण्डलाधिकारी आलोक तिवारी के सार्थक प्रयास और नवाचार से कटंग बांस की कटाई आसान हो गई हैं। खबर हैं कि असेंबल कर बनाई गई मशीन से बेहद जटिल संरचना में उगे कटंग बांस का आसानी से विदोहन किया जा सकता हैं। वन मंडल अधिकारी श्री तिवारी के नवीन प्रयोग के बाद वनकर्मियों को इस दिशा में प्रशिक्षण भी दिया जा रहा।

छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ वनमंडल राजस्व की आपूर्ति में अग्रणी रहा हैं। मैंकल पर्वत श्रृंखला के तराई इलाके में बसा खैरागढ़ वन मंडल का क्षेत्र जैव विविधता के साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां के जंगलों में बांस की कई प्रजातियां मिलती है, जिनमें सबसे अधिक और सबसे जटिल संरचना कटंग बांस की होती है। इस बांस की प्रजाति का उत्पादन तो इलाके में बहुतायत होता है लेकिन इसका विदोहन (कटाई) वन विभाग के लिए हमेशा से टेढ़ी खीर रही है और यही वजह है कि छत्तीसगढ़ से बाहर के मजदूरों को बांस की कटाई के लिए यहां बुलाया जाता रहा है।

कटंग बांस की कटाई अपने आप में एक चुनौती होती है इसलिए या तो इसे लगाया नहीं जाता या फिर इसे बढ़ने के बाद जला दिया जाता है पर खैरागढ़ में डीएफओ ने बांस की जटिल संरचना के लिए एक मशीन ईजाद की है, जिससे इस बांस को आसानी से काटा जाता है और बांस के उस वृक्ष से लगभग 60 वर्षों तक बांस की पैदावार ली जा सकती है। डीएफओ श्री तिवारी ने बताया बांस एक ऐसा प्राकृतिक पौधा है जिसकी कटाई के साथ इसका उत्पादन बढ़ता है। न केवल जंगलों में बल्कि किसान भी इसे अपने उपयोग के लिए लगाते रहे हैं। बांस पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है जो आज के दौर में पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है। बांस के बेहतर विदोहन के साथ इसका उत्पादन भी बढ़ेगा और इससे क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को घटाया जा सकता है। बांस के उत्पादन और विदोहन को लेकर पर्यावरण संरक्षण ही प्रमुख प्रयोजन और उद्देश्य है। आमतौर पर कटंग बांस बांसों के झुरमुट से घिरा होता है इसलिए इसे हाथों से काटना आसान नहीं होता। इस समस्या से निपटने और कटंग बांस को आसानी से काटने के लिए खैरागढ़ डीएफओ आलोक तिवारी ने नवाचार अपनाया है। इसके तहत बांस की इस प्रजाति को काटने के लिए एक मशीन का प्रयोग किया जा रहा है जो असेंबल कर बनाई गई है। इस मशीन के प्रयोग के संबंध में डीएफओ आलोक तिवारी ने स्वयं मैदान में उतरकर वन कर्मियों को प्रशिक्षण दिया हैं।

कटंग बांस की कटाई कठिन होती हैं इसलिए एक असेंबल मशीन से इसकी कटाई का प्रयोग हाल ही में किया गया है जो सफल रहा है। बांस के विदोहन से ही इसका उत्पादन निर्भर करता है। उम्मीद है इस तकनीक से बांस के उत्पादन में और अधिक सफलता मिलेगी।

आलोक तिवारी, डीएफओ खैरागढ़

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