राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र और पुत्रियां बदहाली के बीच झोपड़ी में पढ़ने मजबूर

सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. नवीन शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के साथ शाला प्रवेश उत्सव के पहले दिन ही वनांचल में सरकारी दावे खोखले नजर आये। दरअसल राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र और पुत्रियां बदहाली के बीच झोपड़ी में अध्ययन करने मजबूर हैं। मामला
जिले के सुदूर वनाँचल में बसे छुईखदान विकासखंड के ग्राम पंचायत समुंदपानी के आश्रित ग्राम निजामडीही का हैं जहाँ सरकारी शिक्षण व्यवस्था अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां करती हैं। देश और प्रदेश में विकास के दावे जो भी हो पर राष्ट्रपति के गोद पुत्र बैगा आदिवासियों को आज भी सरकारी सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ रहा हैं।

जिले एवं राज्य की अंतिम सीमा पर बसे बैगा आदिवासियों का बाहुल्य ग्राम निजामडीही आज भी सरकारी विकास की अदद बाट जोह रहा हैं। यहां बेहतर सड़क, बिजली, पानी व स्वास्थ्य सुविधाओं की बात छोड़िए बहरहाल यहां निवासरत बैगा आदिवासी परिवार के बच्चों को पढ़ने-पढ़ाने तक की समुचित सुविधा नहीं है। विद्यालय भवन की जर्जर स्थिति और भवन के जीर्णोद्धार नहीं होने के कारण बीते 2 साल से प्राथमिक शाला को गांव के ही एक आदिवासी परिवार की झोपड़ी में चलाया जा रहा है, जो सरकारी शिक्षण व्यवस्था की पोल खोलता है। केंद्र व राज्य सरकार प्रतिवर्ष शिक्षा में गुणवत्ता को लेकर लाखों रुपए खर्च करती है लेकिन वास्तविकता आज भी दुर्भाग्यजनक ही है। सच्चाई यही है कि वनांचल के इलाकों में सरकारी अव्यवस्था के कारण आज भी आदिवासी बच्चे ऐसी स्थिति में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।

ग्राम निजामडीही में सरकारी सुविधाएं नाम मात्र की दिखती है। प्राइमरी स्कूल को आदिवासी परिवार के झोपड़ी में स्थित बरामदे में संचालित किया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 38 बच्चे यहां अध्यनरत है, जहां एक शिक्षक व एक शिक्षिका पदस्थ है। स्कूल में सभी के सभी बैगा आदिवासी छात्रों को दरी में बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि स्कूल की समस्या को लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने लगभग सभी दलों के जनप्रतिनिधियों को समस्या से अवगत कराया है, पहले भी शासन-प्रशासन के प्रतिनिधियों को स्कूल और गांव की समस्या दूर करने जानकारी दी गई है लेकिन अब तक यहां व्यवस्था दुरुस्त करने कोई सार्थक कार्यवाही नहीं हुई हैं।

ग्राम निज़ामडीही में अव्यवस्थाओं के बीच भी बैगा आदिवासी समाज खुश और जिंदादिल नजर आता हैं। बेहद सरल और सीधे इलाके के बैगा आदिवासी शासन और प्रशासन से नाराज तो नहीं दिखते लेकिन सभी ये उम्मीद करते हैं कि यहां की व्यवस्था जल्द दुरुस्त हो ताकि उनके बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके। आदिवासी ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के दिनों में यहां समस्याएं ज्यादा उत्पन्न होती हैं। बेहतर विद्यालय भवन नहीं होने के चलते और बारिश के कारण अधिकांश समय बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है वहीं सघन वन क्षेत्र होने के कारण लगातार जहरीले जीव जंतुओं का भी डर यहां बना रहता है। ग्रामीणों ने आगे बताया कि 2 साल से ठेकेदार द्वारा भवन जीर्णोद्धार का कार्य पूरा नहीं किया गया है जिसके कारण समस्या हो रही है। बैगा आदिवासी परिवार समस्याओं का जिक्र तो कर रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र होने का दर्जा प्राप्त इस अति पिछड़े आदिवासी समुदाय की भलाई सीधे तौर पर शिक्षा से जुड़ी हुई है और इसी बुनियादी व्यवस्था में शासन प्रशासन की कोताही बड़े सवाल खड़े करती है।
पूरे मामले को लेकर बीईओ रमेन्द्र डड़सेना ने बताया कि बजट में राशि नहीं होने के कारण निर्माण कार्य अधूरा है, राशि आते ही ठेकेदार द्वारा शीघ्र निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा।

वनांचल में शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी हम सबकी जिम्मेदारी हैं, जीर्णोद्धार का कार्य क्यों रुका हैं इसकी जानकारी लेकर जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने प्रयास किया जायेगा।

यशोदा नीलांबर वर्मा, विधायक खैरागढ़

विद्यालय के जीर्णोद्धार का मामला पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल का है। कार्य अब तक क्यों पूरा नहीं हुआ हैं इसकी जानकारी लेकर नये शिरे से कार्य प्रारंभ कराया जायेगा।

विक्रांत सिंह, शैडो विधायक खैरागढ़

मेरे द्वारा मामले की पूरी जानकारी ली जा रही है, शीघ्र ही व्यवस्था दुरुस्त करने पहल की जाएगी।

लालजी द्विवेदी, डीईओ केसीजी

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