मुआवजे की राशि बचाने रात में किया जा रहा सडक़ निर्माण

कार्यवाही करने से बच रहे जिम्मेदार अधिकारी

किसानों को मुआवजा दिये बिना हो रहा निर्माण

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. केसीजी जिला निर्माण से पहले एडीबी प्रोजेक्ट के तहत छुईखदान से दनिया सडक़ निर्माण लगातार विवादों से घिरा हुआ है. वर्तमान में ठेकेदार के द्वारा किसानों को मुआवजे की राशि देने से बचने के लिये रात में सडक़ निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है जिस पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है. एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने निजी जमीन में 24 किलोमीटर लंबा सडक़ निर्माण कर दिया है और अब बचे हुए 3 किलोमीटर सडक़ का निर्माण एडीबी प्रोजेक्ट मैनेजर के शह पर रात के अंधेरे में किया जा रहा है. ग्राम सीताडबरी, सिलपट्टी, पद्मावतीपुर सहित आधा दर्जन गांव में विरोध के चलते काम रूका हुआ है ग्राम उदान के बाद आधी रात दनिया में जेसीबी मशीन लगाकर निजी तथा पट्टे वाली जमीन को सडक़ निर्माण के लिये खोदा गया है. ज्ञात हो कि छुईखदान सडक़ निर्माण में निजी भूमि गवां चुके भूमि स्वामियों के द्वारा मुआवजा पाने अपने अधिवक्ता के माध्यम से धारा 80 के तहत नोटिस दिया गया है जिसका जवाब देने के बजाय एडीबी प्रोजेक्ट और राजस्व विभाग के अधिकारी बलपूर्वक किसानों की जमीन पर सडक़ निर्माण करवा रहे हैं.

किसानों को डरा-धमकाकर किया जा रहा निर्माण कार्य

ग्राम दनिया के अनुसूचित जाति वर्ग के किसान लखन दास ने बताया कि उसकी सहमति के बगैर उसकी जमीन का अधिग्रहण किया गया है और उस जमीन का मुआवजा भी नहीं दिया गया है फिर भी उसे डरा-धमका कर ठेकेदार के लोगों के द्वारा सडक़ निर्माण के लिये उसके खेत पर कब्जा कर मिट्टी मुरूम डाल दिया गया है. आदिवासी किसान हेमू ठाकुर ने बताया कि उसके पिता जी छुईखदान के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद शर्मा के माध्यम से राजस्व विभाग और एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों को कानूनी नोटिस भेजकर मुआवजा राशि देने कहा है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है और जबरन उसकी जमीन को प्रशासन द्वारा हथियाकर सडक़ निर्माण किया जा रहा है. 24 किलोमीटर लंबे सडक़ निर्माण में यही हाल है. जहां किसानों को डरा धमकाकर सडक़ निर्माण के लिये किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया गया है. किसानों को डराने धमकाने के लिये ठेकेदार के लोगों के द्वारा क्षेत्रीय और बाहरी गुंडों का भी सहारा लिया जा रहा है वहीं कुछ स्थानीय दलाल भी ठेकेदार को मदद कर रहे हैं.

अधिकारी किसानों को कर रहे हलाकान

इधर किसानों के द्वारा धारा 80 के तहत दिये गये नोटिस का जवाब राजस्व विभाग द्वारा तीन माह बीतने के बाद भी नहीं दिया गया है और ऊपर से उन्हीं किसानों की जमीन पर बलपूर्वक कब्जा कर सडक़ निर्माण करवाया जा रहा है जिन किसानों ने प्रशासन को नोटिस दिया है. एसडीएम रेणुका रात्रे से मिलने उनके कार्यालय के दर्जनों चक्कर काटने तथा मोबाईल पर कई बार संपर्क करने करने के बाद भी एसडीएम रात्रे किसानों से बात नहीं कर रही है. इधर जिला मुख्यालय में पदस्थ संयुक्त कलेक्टर सुनील शर्मा भी प्राय: कार्यालय से अनुपस्थित रहते हैं, किसान जब भी उनके कार्यालय जाते हैं उन्हें जलबांधा क्षेत्र के दौरे पर होना बताया जाता है.

खुलेआम सूचना के अधिकार की उड़ाई जा रही धज्जियां

किसानों के द्वारा सूचना के अधिकार का आवेदन लगाकर अधिग्रहण और मुआवजा संबंधी जानकारी चाही गई लेकिन एसडीएम द्वारा खुलेआम सूचना के अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुये तीन माह बाद भी जानकारी नहीं दे रही हैं. कुछ जानकारी दी गई जो केवल भ्रमित करने के लिये अधूरी जानकारी थी. यही हाल जिला कार्यालय में पदस्थ संयुक्त कलेक्टर सुनील शर्मा के कार्यालय का है जहां जानकारी देने के बजाये आवेदक को धमकाया जा रहा है. आवेदक के सूचना के अधिकार और जानकारी जानने के अधिकार का हनन किया जा रहा है.

सूचना के अधिकार के तहत किये गये आवेदनों को नियमानुसार निरस्त किया गया है, रही बात रात में किसानों के खेत में सडक़ निर्माण की तो इसके बारे में एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारी ही बता सकते हैं.
रेणुका रात्रे, एसडीएम छुईखदान-गंडई

एडीबी प्रोजेक्ट दिल्ली कार्यालय के द्वारा नियुक्त सलाहकार एजेन्सी के द्वारा दिये गये सेंटर लाइन पर काम किया जा रहा है, नियमों का किसी भी प्रकार से उल्लघंन हो रहा है तो इसका जवाब नियुक्त सलाहकार एजेन्सी ही दे सकता है.
श्री पटौदिया, परियोजना प्रबंधक एडीबी प्रोजेक्ट

किसानों को प्रताडि़त कर जमीन छीनी जा रही है, बिना अधिग्रहण और मुआवजा दिये किसानों के खेतों पर तथा भूमि स्वामी हक में धारित पट्टा भूमि पर जबरन कब्जा कर सडक़ निर्माण किया गया है.
खम्हन ताम्रकार, संरक्षक किसान संघर्ष समिति

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