सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. ग्राम पिपलाकछार में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान कथा व्यास पं.मनोज शर्मा ने अपने व्यासपीठ से कहा कि मानव मात्र को परम सुख व परम शांति अध्यात्म से ही मिल सकता है और आध्यात्म का संपूर्ण सार श्रीमद् भागवत कथा ही है. जीव को परमात्मा से जुडऩे का एकमात्र माध्यम भगवत कथा ही है. श्रृंगी ऋषि का श्राप तक्षक सर्प के डसने पर मृत्यु होगी, सुनकर राजा परीक्षित चिन्ता छोड़ भगवत चिन्तन का आश्रय लिया. सद्गुरु भगवान शुकदेव द्वारा भगवत कृपा स्वरूप भागवत कथा श्रवण कर भगवतगति को प्राप्त किया. भगवत कथा का मूल उद्देश्य, पिबत भागवतं समालयं है, अर्थात जब तक शरीर में चेतना है भगवत रस का पान करते रहो. प्रह्लाद कथा प्रसंग में हरि सर्व भुतेषु के अनुसार भक्त प्रह्लाद को खंभे में भगवत दर्शन मिला परंतु हिरण्यकषिपु को दर्शन नहीं हुआ, तात्पर्य यह है कि प्रह्लाद जैसे भक्ति की दृष्टि रहेगी तो हर वस्तु में भगवत दर्शन होगा.
भगवान कच्छप रूप में आधार देते हैं, समुंद्र मंथन में अमृत के पहले विश निकला है जिसका पान भगवान शिव ने किया, संताप रूपी जहर पीने वाला ही शिव होता है. वामन अवतार के बारे में पं.शर्मा ने बताया कि जीवन में जब-जब देहाभिमान अहंकार जगता है, ईश्वर सबल हो जाता है और जब साधक के जीवन में सत्य, प्रेम, भक्ति, करुणा का भाव जगता है तो वही ईश्वर बालक बनकर कौशिल्या, देवकी, मैया यशोदा की गोद में आकर परम सुख प्रदान करते हैं. ईश्वर सत्य रूप में सर्वव्याप्त है, निर्गुण ईश्वर सत्य रूप में सर्वव्याप्त है पर वही ईश्वर सगुण साकार में सत्य, प्रेम, करुणा के द्वारा प्रकट हो जाते हैं. भगवान की कथा ही जीव मात्र की व्यथा को दूर करती है. भगवान श्रीकृष्ण ही सच्चिदानंद हैं, जन्मोत्सव ही परमानंद है. कार्यक्रम की व्यवस्था में खेमचंद साहू, श्यामलाल देवांगन, जगत राम, उत्तम पटेल, राजू महराज, धन्नू पटेल, ग्राम पटेल खेमलाल, नागेन्द्र पटेल, विष्णु पटेल, घनश्याम पटेल, अमोली राम, सुधेराम पटेल लगे हुये हैं.