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राजनांदगांव

मकान टूटने से क्षुब्ध बीमार महिला जिला अस्पताल से लौटकर कलेक्ट्रेट के सामने फिर बैठी धरने पर

बीमारी के बाद भी अनवरत 10 दिन से निर्जला भूख हड़ताल पर है महिला

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. ग्राम पंचायत द्वारा एकतरफा कार्यवाही व मकान टूटने के बाद न्याय की आस लिये क्षुब्ध महिला जिला अस्पताल से लौटकर फिर से कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठ गई है. मुझे न्याय चाहिये की तख्ती लिये बीमारी के बाद भी बीते 10 दिनों से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नक्शे कदम पर अहिंसात्मक रूप से झामन बाई बिना भोजन-पानी केे निर्जला भूख हड़ताल कर रही है. गौरतलब है कि लगातार 3 दिनों तक भूख हड़ताल व धरना प्रदर्शन करने के बाद झामन बाई की तबियत बिगड़ गई थी और उसे सिविल अस्पताल खैरागढ़ में उपचार के लिये भर्ती कराया गया था,

यहां हालत नहीं सुधरने व बिना खाना-पानी के किडनी में सूजन व पथरी सहित ब्लड प्रेसर की समस्या के कारण उसे जिला अस्पताल राजनांदगांव रिफर किया गया था लेकिन वहां भी उसकी तबियत में कोई सुधार नहीं आया है और वहां चिकित्सकों ने बेहतर चिकित्सा के लिये उसे परामर्श दिया है लेकिन मकान टूट जाने व बेसहारा हो जाने के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रही झामन बाई के पास बेहतर उपचार के लिये पैसे नहीं है वहीं वह अपने साथ हुये अत्याचार व अन्याय के विरूद्ध मरणासन्न अवस्था तक लड़ाई लडऩा चाहती है लेकिन विडम्बना है कि झामन बाई की सुध लेने शासन-प्रशासन का कोई प्रतिनिधि सामने नहीं आ रहा है. विवश झामन बाई का कहना है कि कलेक्टर ने कहा है कि 60 दिनों तक भूख हड़ताल में किसी की मौत नहीं होती इसलिये वह या तो मर जायेगी या तो अपने साथ हुये अन्याय के विरूद्ध न्याय की लड़ाई लड़ेगी.

महिला के भूख हड़ताल के बाद ग्राम पंचायत सहयोग के लिये हुआ तैयार

दूसरी ओर मकान तोड़े जाने के बाद न्याय पाने धरने पर बैठी झामन बाई की मदद करने अब ग्राम पंचायत सहसपुर सामने आया है. मामले को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों ने जिलाधीश को आवेदन देकर इसकी जानकारी दी है. जिलाधीश को सौंपे आवेदन में सहसपुर सरपंच, सचिव व उपसरपंच ने बताया है कि झामन बाई पिता कन्हैया मांडले द्वारा कलेक्टर कार्यालय खैरागढ़ में आर्थिक सहायता के लिये धरना प्रदर्शन किया जा रहा है जिसके संबंध में ग्राम पंचायत द्वारा महिला को सहयोग करने का निर्णय लिया गया है.

पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा है कि आबादी भूमि में निर्मित आवास की ग्रामसभा के अनुमोदन से महिला को निवास करने तथा जीवन यापन करने आवंटित किया त्याअनुविभागीय अधिकारी राजस्व के अतिक्रमण हटाने संबंधी आदेश के विरुद्ध अपीलीय न्यायालय में केस विचाराधीन है जिसका जो भी अंतिम निर्णय होगा ग्राम पंचायत को स्वीकार होगा, पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि उक्त महिला के पति का स्वर्गवास हो चुका है, वर्तमान में वह निराश्रित है तथा उसके कुल 4 हैं महिला के जीविकोपार्जन के लिये किसी प्रकार का साधन नहीं होने के कारण वह अपना और अपने बच् चों का लालन पालन करने तथा उन्हें शिक्षा देने में असमर्थ है, ऐसे में शासन स्तर पर आर्थिक सहायता के लिये कोई योजना हो तो उससे सहायता मिलने पर पंचायत को कोई आपनि नहीं है और आर्थिक सहायता दिया जाना उचित है.

Satyamev News

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