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बिना सूचना के लंबे समय से अनुपस्थित दो कर्मचारियों को डीईओ ने शासकीय सेवा से किया पदच्युत

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बागुर व धोधा में भृत्य के पद पर पदस्थ दो कर्मचारियों को डीईओ ने शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया है। जानकारी अनुसार कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, जिला राजनांदगांव के आदेश क्रमांक/6933/स्था.4/भृत्य/विशेष भर्ती/अ.ज.जा. /2022/राजनांदगांव दिनांक 8.8.2022 के तहत भागीरथी धुर्वे पिता मदन सिंह, ग्राम समुन्दपानी पोस्ट रामपुर, विखं छुईखदान, जिला राजनांदगांव को शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक शाला बागुर, विकासखंड छुईखदान जिला राजनांदगांव वर्तमान जिला खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई में भृत्य के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई थी। पदभार ग्रहण करने के बाद 1 जनवरी 2024 से बिना पूर्व सूचना/आवेदन पत्र के भागीरथी अपने कर्त्तव्य से लगातार अनुपस्थित रहा। इसी तरह कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, जिला राजनांदगांव के आदेश क्रमांक/6927/स्था.4/भृत्य/विशेष भर्ती/अ.ज.जा./2022 /राजनांदगांव दिनांक 8.8.2022 के तहत रंजीत सिंह पिता मदन सिंह, ग्राम समुन्दपानी पोस्ट रामपुर विख छुईखदान, जिला राजनांदगांव को शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला धोधा, विकासखंड छुईखदान जिला राजनांदगांव वर्तमान जिला खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई में नियुक्ति प्रदान की गई थी। पदभार ग्रहण करने के बाद 26 दिसंबर 2023 से बिना पूर्व सूचना/आवेदन पत्र के रंजीत सिंह अपने कर्त्तव्य से लगातार अनुपस्थित रहा। इस संबंध में संबंधित प्राचार्यों के द्वारा डीईओ कार्यालय को अवगत कराया गया। इसके पश्चात दोनों भृत्यों को कारण बताओ सूचना पत्र प्रेषित किया गया था जिसका संबंधित के द्वारा किसी भी प्रकार से प्रतिउत्तर नहीं दिया गया जिसके बाद संबंधित के उक्त कृत्य को देखते हुये उनके विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित की गई। प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के निष्कर्ष में आरोप क्रमांक 01 में संबंधित भृत्य के ऊपर नियंत्रण अधिकारी के समक्ष उपस्थित न होकर प्रतिउत्तर प्रस्तुत नहीं किया जाना, उनकी स्वेच्छाचारिता एवं लापरवाही तथा अनुशासनहीनता को प्रदर्शित करता है। आरोप क्र. 02 में संबंधित भृत्यों के द्वारा अपने विभागीय जांच प्रकरण में सुनवाई के दौरान किसी भी प्रकार का लिखित प्रतिवाद प्रस्तुत नहीं किया गया न ही अपने ऊपर लगाए गए आरोपों के संबंध में कोई साक्ष्य या दस्तावेज उपलब्ध कराया गया। सुनवाई के दौरान अपने बचाव में पक्ष रखने के लिए उपस्थित भी नहीं हुआ। विभागीय जांच रिपोर्ट उपरांत संबंधित को अपने कर्तव्य पर उपस्थित होने का मौका देते हुये चेतावनी पत्र जारी किया गया था जिसका प्रतिउत्तर संबंधित के द्वारा नहीं दिया गया। चेतावनी पत्र का प्रतिउत्तर संबंधित के द्वारा नहीं दिये जाने पर उन्हें एक सप्ताह का अवसर देते हुए प्रतिवाद प्रस्तुत करने भी पत्र जारी किया गया परन्तु उनके द्वारा प्रतिवाद का उत्तर नहीं दिया गया। प्रतिवाद का उत्तर न देने से ऐसा प्रतीत होता है कि वह शासकीय सेवा करने का इच्छुक नहीं है। इस प्रकार भागीरथी धुर्वे एवं रंजीत सिंह के द्वारा छग सिविल सेवाएं (आचरण) नियम, 1965 के नियम-7 तथा छग मूलभूत नियम-18 एवं छग सिविल सेवाएं (अवकाश) नियम 2010 के नियम-11 का उल्लंघन किया गया है। ऐसे में नियुक्ति नियमावली की कंडिका 06 में दिये गये निर्देशों एवं छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 12 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए जिला शिक्षा अधिकारी लालजी द्विवेदी के द्वारा उक्त नियमों के नियम 10 (आठ) के अंतर्गत दिनों भृत्यों को तत्काल प्रभाव से शासकीय सेवा से पदच्युत कर दिया गया है।

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