आवारा सांड के हमले से घायल छात्रा श्रेया करकरे की दर्दनाक मौत

खैरागढ़ की बदहाल प्रशासनिक अव्यवस्था ने ले ली एक होनहार छात्रा की जान
जन्म दिवस के दिन ही श्रेया हार गई जिंदगी की जंग
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. अब जिला मुख्यालय बन चुके संगीत नगरी की बदहाल प्रशासनिक अव्यवस्था ने एक होनहार छात्र की जान ले ली है. आवारा सांड के हमले से घायल हुई इंदिरा कला संगीत विद्यालय की छात्रा श्रेया करकरे की शुक्रवार की सुबह भिलाई के एक निजी अस्पताल में दर्दनाक मौत हो गई. कहते हैं मौत रहमदिली नहीं दिखाती और ऐसा ही कुछ श्रेया के साथ हुआ. शुक्रवार 19 जनवरी को श्रेया का जन्म दिन है और वह अगर जीवित होती तो 24 वर्ष की हो जाती लेकिन जन्म दिवस के दिन ही श्रेया की उपचार लाभ के दर्दनाक मौत हो गई. सुबह तक़रीबन 3.30 बजे उसने अंतिम सांस ली. श्रेया खैरागढ़ विश्वविद्यालय में कथक नृत्य की होनहार छात्रा थी पर खैरागढ़ की बदहाल प्रशासनिक अव्यवस्था ने उसकी जान ले ली.
सांड के हमले से घायल हुई थी छात्रा
दरअसल छात्रा श्रेया करकरे की मौत का कारण एक आवारा सांड है. बीते रविवार 14 जनवरी को छात्रा श्रेया अपने कुछ साथियों के साथ खैरागढ़ के साप्ताहिक इतवारी बाजार में सब्जियां खरीदने गई थी तभी शाम तकरीबन 5:30 बजे बाजार में विचरण कर रहे एक आवारा सांड ने श्रेया पर हमला कर दिया. सांड के हमले को लेकर छात्रा कुछ समझ पाती से पहले सांड ने उसे कमर के पिछले हिस्से से उठाकर जमीन पर पटक दिया. इस घटना में श्रेया बुरी तरह घायल हो गई और उसका सिर फट गया. आनन-फानन में श्रेया को प्राथमिक उपचार के बाद पल्स हॉस्पिटल भिलाई रेफर किया गया जहां बीते 5 दिनों से श्रेया का उपचार चल रहा था लेकिन जन्म दिवस के दिन ही खैरागढ़ विश्वविद्यालय के नृत्य संकाय की एक होनहार छात्रा अपनी जिंदगी की जंग हार गई. मूलतः भोपाल की रहने वाली श्रेया का अंतिम संस्कार भिलाई में ही किया गया है. श्रेया की जान बचाने विश्वविद्यालय के छात्र और कुछ सेवाभावी दिन रात मेहनत करते रहे और आर्थिक मदद भी जुटाते रहे. पर अंतत श्रेया की जान नहीं बचा पाये.
खैरागढ़ में खतरनाक आवारा सांड और पशुओं पर कोई लगाम नहीं
जिला निर्माण के सवा साल बाद भी खैरागढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है. यहां खतरनाक आवारा सांड और रिहायसी तथा सार्वजनिक स्थान पर विचरण करने वाले पशुओं पर प्रशासन का कोई अंकुश नहीं है. खैरागढ़ में 100 से अधिक आवारा सांड और हमलावर मवेशी खुले में घूम रहे हैं. वर्तमान में इनका विरोध करना भी धर्म के विरुद्ध हो चला है. इस घटना के बाद अब सवाल उठ रहा है कि खैरागढ़ जिला तो बन गया पर यहां की प्रशासनिक व्यवस्था कब सुधरेगी.