खैरागढ़ में शिक्षकों की पदोन्नति व पदांकन में हुआ बड़ा खेल
शासन के आदेश व नियम के बाद भी पूरी प्रक्रिया को लेकर प्रशासनिक कार्यवाही अब तक शून्य
न्याय पाने शिक्षकों का एक संघ विरोध में तो मनमाफिक जगह पाने वालों के पक्ष में भी एक संघ
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. खैरागढ़ में शिक्षकों की पदोन्नति व पदांकन की प्रक्रिया में शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा बड़ा खेल खेला गया है और इस बात की जानकारी सभी को है लेकिन आंखों के सामने ही गलतियों को दबा-पचा कर किस तरह एक और खेल खेला जा रहा है यह एक तरह से नियम-कानून के साथ भी खिलवाड़ है पर जिम्मेदार मौन है, यह जानते हुये भी कि पूरे मामले में दोषी कौन है. पहले आरोप लगा कि पूरी प्रक्रिया में बीईओ और उनके कार्यालय में पदस्थ कुछ लिपिक दोषी हैं लेकिन दोष उनका भी है जिन्होंने रूपये और रसूख के दम पर शरीर से लाचार दिव्यांगों और बीमारी व अथक समस्याओं से जूझ रही महिला शिक्षकों का हित मारा है.
इन सबके बीच कौतूहल यह है कि सहायक शिक्षकों के हितैषी संगठन के पदाधिकारी एक ओर जहां पदोन्नति के बाद पदांकन सूची में संशोधन चाहते हैं वहीं दूसरी ओर उनके पदाधिकारी सहायक शिक्षक मन माफिक स्थान में पदांकित शाला को अब छोडऩे तैयार नहीं हैं, संभवत: सवाल उनके रसूख और खर्च किये गये रूपयों का भी है. ऐसे में रसूख के बोझ तले और रूपयों की लालसा में दबे जिम्मेदार अधिकारी भी बीच का रास्ता निकाल कार्यवाही से बचना चाहते हैं. अन्यथा पूरे मामले में अगर सही-सही जांच हो जाये तो बीईओ सहित पदोन्नति व पदांकन में खेल करने वाले उनके मातहत कर्मचारी निलंबित हो जायेंगे.
शिक्षकों का दो धड़ा आमने-सामने
यह भी सार्वजनिक हो चुका है कि शिक्षकों के हित साधन का दंभ भरने वाले दो संगठन अब मामले में आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं जिनमें एक संगठन तो वाकई न्यायपूर्वक पदोन्नति व पदांकन की प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है वहीं दूसरा संगठन जो पूरे खेल में माध्यम बना रहा और बतौर माध्यम उन्हें पूरी प्रक्रिया में मलाई भी मिली अब संगीत नगरी में विरोध का सुर लगा रहे हैं. बताया जा रहा है कि सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में सहायक शिक्षक फेडरेशन के नव पदांकित प्रधान पाठक, सहायक शिक्षकों एवं प्रधान पाठक पदांकन से पीडि़त कुछ शिक्षकों के बीच लंबी बहसबाजी हुई.
नाम नहीं छापने की शर्त पर दर्जनभर से अधिक पीडि़त सहायक शिक्षक व शिक्षिकाओं ने बताया कि संगठन के उन समस्त पदाधिकारियों से इस बात का निवेदन किया गया कि जितने भी पुरूष शिक्षक अपने रसूख व लेनदेन के आधार पर मनमाफिक विद्यालयों में पदांकित किये गये हैं वे पीडि़त दिव्यांगों एवं महिला शिक्षकों के पक्ष में आत्मसमर्पण कर दे क्योंकि पूरी प्रक्रिया भ्रष्टाचार के नींव पर ही खड़ी की गई है.
ऐसा हो जाये तो नियमानुरूप उन विद्यालयों के लिये काउंसिलिंग की प्रक्रिया के माध्यम से नियमानुसार दिव्यांगों व महिला शिक्षकों का पदांकन किया जा सके लेकिन इस पूरे खेल में 90 फीसदी से अधिक पुरूष शिक्षकों ने मनमाफिक विद्यालयों में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है इसलिये वे अब मानवीय भाव क्यों दिखाएंगे और किसलिये मनमाफिक मिली जगह को छोड़ेंगे. सब जानते हैं कि शिक्षकों के एक संगठन से जुड़े पदाधिकारियों एवं चाटुकारों को मनमाफिक स्थान पदांकन की प्रक्रिया में प्राप्त हुआ है.
पदोन्नत शिक्षकों के 90 फीसदी कार्यभार ग्रहण का आंकड़ा फर्जी
वास्तविकता की बात की जाये तो 90 फीसदी पदोन्नत शिक्षकों के कार्यभार ग्रहण का आंकड़ा पूरी तरह गलत है क्योंकि जैसे ही यह खबर सामने आयी कि पदोन्नति में शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बड़ा खेल किया गया है और उसके बाद विद्यालयों में मनमाफिक पदांकन के लिये लाखों रूपये का लेनदेन हुआ है कलेक्टर डॉ.जगदीश सोनकर ने पूरी प्रक्रिया में स्टे लगा दिया लेकिन बीईओ कार्यालय द्वारा कलेक्टर के इस आदेश के बाद आनन-फानन में पदस्थ विद्यालयों में पदभार करा लिया गया जो कागजी था लेकिन कलेक्टर ने स्टे लगाते समय स्पष्ट किया था कि जो भी शिक्षक कार्यभार ग्रहण किये हैं वह भी शून्य हो जायेगा.
पदोन्नति व पदांकन के लिये ई-पेमेंट भी बना है माध्यम
खैरागढ़ में शिक्षकों की पदोन्नति व पदांकन की प्रक्रिया में मनमाफिक विद्यालय की चाहत रखने वाले कुबेर पुत्रों ने बिना डर भय के न केवल नगद लेनदेन किया है बल्कि ई-पेमेंट भी इस प्रक्रिया में एक बड़ा माध्यम रहा है. बताया जा रहा है कि पूरी प्रक्रिया में रूपये कमाने की चाह रखने वाले जिम्मेदार अधिकारी व उनके बाबूओं सहित कुछ शिक्षक संगठन के सदस्य व शिक्षक पदाधिकारियों ने मोबाईल से ई-पेमेंट के जरिये भी लेनदेन का बड़ा खेल खेला है. अगर इस मामले में आरोपों के मुताबिक अगर न्यायपूर्वक जांच हो जाये तो कई शिक्षक बेनकाब हो जायेंगे.
पीडि़त दिव्यांग शिक्षक व महिला शिक्षिकाओं ने बना ली है सूची
अब पूरे मामले में पीडि़त दिव्यांग एवं महिला शिक्षिकाएं नियम विरूद्ध प्रधानपाठक पद पर मनमाफिक स्थान में पदांकन कराने वाले पदाधिकारियों व संकुल समन्वयकों की सूची तैयार की है जिन्हें कलेक्टर, डीईओ व खैरागढ़ विधायक को अभ्यावेदन प्रस्तुत कर उनके स्थान पर पीडि़तों को पदांकन करने की मांग करेंगे. पीडि़तों द्वारा तैयार की गई उक्त सूची में प्रमुख रूप से कुछ शिक्षकों का नाम भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ है जिनमें रामलाल साहू, कौशल श्रीवास्तव, दुर्गेश सोनी, दिगेश दीक्षित, प्रणय महोबे, भगवती प्रसाद सिन्हा, संजू कंवर, खेमराज वर्मा, नंदकिशोर सिमकर, चंद्रकिरण ठाकुर, भुवन सेन, ईश्वरी राम चंदेल, पंचराम वर्मा, नरेश वर्मा, अनगेश्वर नेताम, कुशल मार्शल, प्रयाग सिंह, रूपकुमार, संतोष साहू, जितेन्द्र नामदेव, अवधराम वर्मा, कंसलाल वर्मा, अनिल मेश्राम, खिलेन्द्र डहरिया, जयप्रकाश धुर्वे, अमृत लाल, नरोत्तम वर्मा, लोमश वर्मा, डाकवर साहू, राजकुमार सहारे, सुखित राम, टार्जन वर्मा, महेश कुमार साहू, सुनील वर्मा, शांता बंजारे, अशोक कुमार, हेमलाल साहू, ज्ञानेश्वर यादव, कन्हैया लाल, जागेश्वर टंडन, लादूराम, युयाल सिंह, रघुनाथ धुर्वे, चैतूराम, रामदास, पल्टूराम, बलीराम, गोवर्धन सेन, परस राम, चंद्रेश वर्मा, मनहरण वर्मा, अजय वर्मा, संजू कंवर, राजेन्द्र रजक, केजूराम देवांगन, धनंजय वर्मा, नरेन्द्र रंगारे, कृष्णकुमार बोरकर सहित तकरीबन 70 से अधिक पूर्व शिक्षकों के नाम शामिल हैं.
शिक्षक कांग्रेस लगातार कर रहा पदांकन सूची रद्द करने की मांग
पूरे मामले में शिक्षक कांग्रेस लगातार पदांकन सूची रद्द करने की मांग कर रहा है. ज्ञात हो कि मंत्रालय द्वारा जारी आदेश नियम विरूद्ध पदांकन पर मुहर नहीं लगाती. स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश दिनांक 07.11.2022 का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं निकाला जाना चाहिये कि नियम विरूद्ध पदांकन सूची को निरस्त करने का अधिकार कलेक्टर के पास नहीं है. इन परिस्थितियों में जिला प्रशासन के पास सर्वाधिकार सुरक्षित रहता है. गौरतलब है कि राज्य शासन के दिशानिर्देश एवं प्रक्रिया का पालन नहीं करते हुये संगठन के पदाधिकारियों का पदांकन उनके निज निवास के आसपास के ही विद्यालयों में कर दे और बांकी को प्रताडि़त कर दूरस्थ स्थानों में संचालित विद्यालयों में पदांकित कर दे ऐसी सूची को सीधे तौर पर जांच के उपरांत रद्द किया जा सकता है. खासतौर पर जब पदांकन की प्रक्रिया काउंसिलिंग के माध्यम से न की गई हो और पदोन्नति के बाद विद्यालयों का आबंटन रेवड़ी बांटने की तरह किया गया हो, ऐसे में लोकतांत्रिक व संवैधानिक देश व प्रदेश में नियम, कायदे, कानून का क्या अर्थ रह जाता है.
छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस राजनांदगांव के जिला अध्यक्ष सुरेश जैन, सचिव जयप्रकाश साहू, खैरागढ़ के जिला अध्यक्ष संजय राजपूत, सचिव सुनील गुनी, मानपुर-मोहला जिले के अध्यक्ष अजय कुमार ठाकुर, सचिव रजऊ पोया, अजय साहू व राजेन्द्र वर्मा, खैरागढ़ ब्लॉक अध्यक्ष विभाष पाठक, सचिव अजय सिंह राजपूत ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि अगर वाकई में पीडि़त शिक्षको के साथ न्याय करना है तो पदांकन सूची को रद्द कर शासन के नियमानुसार काउंसिलिंग के माध्यम से पदांकन की प्रक्रिया को पूर्ण कराया जाये और पूरे मामले में दोषी शिक्षा अधिकारी व उनके मातहत कर्मचारियों को निलंबित किया जाये अन्यथा नवगठित जिले में न्याय मांगने वालों के साथ अन्याय होगा तथा पीडि़त शिक्षक खुद को जीवन भर ठगा सा महसूस करेंगे.
पदोन्नति के बाद पीडि़त दिव्यांग शिक्षकों का परिवार भी हो रहा मुखर
पदोन्नति के बाद पदांकन की प्रक्रिया से पीडि़त दिव्यांग शिक्षकों के परिजन भी अब संगठित होकर नियम विरूद्ध पदांकन सूची को निरस्त करने जिलाधीश व खैरागढ़ विधायक से लिखित में मांग करेंगे. सोशल मीडिया में चल रही इस मुहिम के मुताबिक ईश्वर वर्मा व हर्ष दशरिया सहित 20-25 परिवार के सदस्य पीडि़त शिक्षकों के पक्ष में न्याय प्राप्ति के लिये अपनी आवाज बुलंद करेंगे.