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डीएपी की जगह वैकल्पिक उर्वरकों से खेती करने मिलेगा बेहतर उत्पादन- कृषि विभाग

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. किसान फसल बोनी से पहले शुरूवाती खेती की तैयारी में लगे हुये है। अभी ग्रीष्म जुताई, मेड़ सफाई, भूमि सुधार आदि कार्य किये जा रहे है। खेती के लिये बीज एवं खाद की अग्रिम भंडारण सेवा सहकारी समितियों में किया गया है और किसानों के द्वारा खाद एवं बीज का अग्रिम उठाव किया जा रहा है। कृषि विभाग के उप संचालक राजकुमार सोलंकी ने बताया कि इस वर्ष जिले में डी.ए.पी. खाद की कम मात्रा उपलब्ध होने की संभावना है। डी.ए.पी. के जगह वैकल्पिक खाद का अनुशंसित मिश्रित उपयोग से अच्छा फसल उपज ले सकते है। डी.ए.पी. खाद में उपलब्ध नाईट्रोजन एवं फास्फोरस पोषक तत्व की पूर्ति जैविक विधि से आसानी से की जा सकती है। हरी खाद एवं वर्मीकम्पोस्ट के माध्यम से कम लागत में डी.ए.पी. पोषक की पूर्ति किये जा सकते है। हरी खाद में कैचा/सन ले सकते है इसी प्रकार कम्पोस्ट में गोबर खाद, वर्मीकम्पोस्ट, मूर्गीखाद उपर्युक्त है। रासायनिक खाद की बात करें तो सेवा सहकारी समितियों में डी.ए.पी. खाद के बहुतायत वैकल्पित मिश्रित खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जिसका डी.ए.पी. की जगह उपयोग करने में उतना ही लाभ देगा जितना डी.ए.पी. देता है। सेवा सहकारी समितियों में वैकल्पित खाद, यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट (राखड), पोटाश, एन.पी.के. (12:32:16) एन.पी. के. (20:20:0:13) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जिसका अनुशंसित मिश्रित मात्रा में उपयोग करके अच्छी उत्पादन लिया जा सकता है। जिले में मुख्य रूप से धान एवं सोयाबीन फसल की बोनी की जाती है। इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा अनुशंसित मात्रा में खाद का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि धान की जल्दी पकने वाली किस्म में अच्छी उत्पादन के लिये प्रति एकड़ 24 किग्रा. नाईट्रोजन, 16 किग्रा फास्फोरस एवं 8 किग्रा पोटाश की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति 52 किग्रा. यूरिया, 100 किग्रा. सुपर फास्फेट (राखड़) और 60 किग्रा पोटाश किया जा सकता है या फिर अन्य उर्वरक मिश्रण में 50 किग्रा. एन.पी. के. (12:32:16) तथा 39 किग्रा. यूरिया के उपयोग अच्छी उपज प्राप्त किया जा सकता है। धान की बौनी मध्यम पकने वाली किस्म के लिये प्रति एकड़ 32 किग्रा. नाइट्रोजन 20 किग्रा. फास्फोरस एवं 20 किग्रा. पोटाश अनुशासित मात्रा है। जिसकी पूर्ति बिना डी.ए.पी. के 60 किग्रा एन.पी.के. (12:32:16) तथा 54 किग्रा यूरिया के उपयोग से पूर्ति किये जा सकते है या फिर 70 किग्रा यूरिया, 125 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट (राखड़) तथा 20 किग्रा पोटाश के छिड़काव से अच्छी पैदावार ले सकते है। सोयाबीन फसल की अच्छी उपज के लिए 8 किग्रा. नाइट्रोजन, 32 किग्रा फास्फोरस एवं 8 किग्रा पोटाश की मात्रा प्रति एकड़ अनुशासित है। जिसकी पूर्ति एन.पी.के. (12:32:16) की 100 किग्रा उपयोग करके ली जा सकी है।
सेवा सहकारी समिति में डी.ए.पी. के जगह वैकल्पिक खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जिसके अनुशंसित मिश्रित उपयोग से अच्छा फसल उपज ले सकते है। उन्होंने किसान भाईयों से आग्रह है कि डी.ए.पी. उर्वरक के जगह यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट (राखड), पोटाश, एन.पी.के. (12:32:16) एन.पी. के. (20:20:0:13) का उठाव करें और अच्छी फसल उपज ले।

Satyamev News

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