जब-जब धर्म की हानि होती है तब-तब राम अवतरित होते हैं- भक्तिप्रभा

राम कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को बताया गया राम जन्म का उद्देश्य

कथा प्रांगण में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का भी हुआ आयोजन

500 से अधिक मरीज हुए लाभान्वित
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. धर्म नगरी पांडादाह में आयोजित सरस राम कथा के दूसरे दिन जगत में राम जन्म की महत्ता बताई गई. देश की सुप्रसिद्ध कथा वाचिका देवी भक्ति प्रभा ने बताया कि संसार में जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब राम अवतरित होते हैं. जब-जब होये धर्म की हानि, बडे असुर अधम अभिमानी, तब-तब लीन मनुज शरीरा, हरि हरे सज्जन पीरा, इस दोहे के अर्थ की विस्तृत व्याख्या करते हुए भक्ति प्रभा देवी ने बताया कि पाप और पाखंड को समाप्त करने के लिए श्री राम का जन्म होता है. प्रभु जन्म का शास्त्रों में चार कारण बताया गया है जिसमें अधर्म का नाश महती कारण है. राम ने अपने सुचरित्र के माध्यम से जो यश कीर्ति प्राप्त की वह परम पूजनीय है. भारत देश में कभी स्त्री का अपमान नहीं सहा गया, सिया हरण के बाद रावण से प्रतिकार करने पशु पक्षियों ने भी युद्ध किया और भगवान श्री राम का साथ दिया. रावण से जटायू और राक्षसी सेना से वानरों का युद्ध इसका प्रतीक उदाहरण. भारत ऐसा देश है जहाँ स्त्री के सम्मान के लिए पशु पक्षी भी युद्ध से पीछे नहीं हटते. रावण वध के बाद कथा प्रसंग को आगे बढ़ते हुए आचार्य प्रभा ने कहा कि मंदोदरी अपने पति रावण का कटा हुआ सर लेने श्री राम के पास पहुंची, तो यह दृश्य बेहद अद्भुत था. राम ने मंदोदरी को माता कहकर पूरा सम्मान दिया और सा सम्मान रावण का पूरा शव मंदोदरी को सुपुर्द कर दिया. यह भी नारी सम्मान का बेहद स्वच्छंद उदाहरण है. बाद में रावण के शव को लंका में पूरे राजकीय सम्मान के साथ जलाया गया. अधर्म से केवल हानि ही होती है वहीं धर्म से व्यक्ति को यश शौर्य और कीर्ति प्राप्त होती है, यही शाश्वत सत्य है.कथास्थली में हुआ निशुल्क स्वास्थ्य शिविर, 500 मरीजों का हुआ उपचारभगवान बलदेव मंदिर प्रांगण में चल रहे राम कथा के दौरान द्वितीय दिवस रानी सूर्यमुखी देवी ट्रस्ट समिति के संयोजन में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया गया, जहाँ अंचल के 500 से अधिक मरीजों का निशुल्क स्वास्थ्य उपचार हुआ. आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व एलोपैथिक चिकित्सकों की गरिमा में उपस्थिति में मरीज का स्वास्थ्य परीक्षण कर उनका उपचार किया गया. सेवा देने वाले चिकित्सकों में डॉ.प्रदीप सिंह, डॉ.कैलाश चौधरी, डॉ.प्रसन्न प्रधान, डॉ.ऋतुराज सिंह, डॉ.प्रशांत झा, डॉ.जागृति झा, अनीता जंघेल व कोमदास साहू का सराहनीय योगदान रहा.