खैरागढ़ विश्वविद्यालय में लोक जीवन में कला विषय पर विशेष व्याख्यान

प्रो.उषा बगाती ने कहा- लोक ही संस्कृति की आत्मा
खैरागढ़। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के लोक संगीत विभाग में 8 अक्टूबर 2025 को “लोक जीवन में कला : जम्मू एवं छत्तीसगढ़ के विशेष संदर्भ में” विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो.लवली शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में जम्मू की प्रख्यात लोक कलाविद् प्रो.उषा बगाती मुख्य वक्ता रही। कार्यक्रम का शुभारंभ लोक संगीत एवं कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो.राजन यादव द्वारा मुख्य अतिथि को शॉल पहनाकर एवं सहायक प्राध्यापक डॉ.दीपशिखा पटेल द्वारा श्रीफल भेंट कर स्वागत के साथ किया गया। अपने विमर्शपूर्ण संबोधन में प्रो. उषा बगाती ने कहा कि “लोक और संगीत एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं। लोकनृत्य, लोकवाद्य और लोकगीत ही लोकसंस्कार की आत्मा हैं। छत्तीसगढ़ से लेकर जम्मू-कश्मीर तक, भारत का लोकसंगीत भावनाओं की एक सार्वभौमिक कड़ी प्रस्तुत करता है।” उन्होंने आधुनिक उपभोक्तावादी संस्कृति के दुष्प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पारंपरिक लोककलाएँ विलुप्ति के कगार पर हैं, इसलिए इनके संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। अधिष्ठाता प्रो.राजन ने कहा कि “लोककला समाज को एक सूत्र में पिरोने वाली वीणा के तारों की तरह है। एक छोर झंकृत होने पर संपूर्ण समाज में सांस्कृतिक अनुनाद गूंजता है।” उन्होंने प्रो.बगाती के व्याख्यान को प्रेरणादायक और शोधाभिमुख बताया। संचालन प्रो.दीपशिखा ने किया वहीं आयोजन में डॉ.विधा सिंह राठौर, डॉ.परमानंद पाण्डेय, डॉ.बिहारी लाल तारम, डॉ.नत्थू तोड़े, रामचंद्र सर्पे सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी, स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थी उपस्थित रहे।