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खैरागढ़ विश्वविद्यालय को जल्द ही मिलेगा नया कुलपति, चयन के लिये प्रशासनिक प्रक्रिया अंतिम चरण में

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ को बहुत जल्द एक पूर्णकालिक कुलपति मिल जायेगा। राज्य शासन ने इसके लिये प्रशासनिक प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है जो अपने अंतिम चरण में है। प्रक्रिया के अनुरूप छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका ने कुलपति चयन के लिये तीन सदस्यीय समिति का पूर्व में गठन किया है जिसमें रबिन्द्रनाथ कलिता जो भारतीय रेल्वे पर्यटन के प्रमुख व असम सरकार में सीएसी व एईआरसी के सदस्य रहे हैं को चयन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। कार्यकारिणी समिति द्वारा निर्वाचित व्यक्ति के रूप में रायपुर संभागायुक्त एवं प्रभारी कुलपति महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय पाटन दुर्ग आईएएस महादेव कांवरे को चयन समिति का सदस्य बनाया गया है साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष द्वारा नाम निर्देशित व्यक्ति के रूप में प्रो.सतप्रकाश बंसल कुलपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश को सदस्य मनोनित किया गया है। यह समिति कुलपति चयन के लिये तीन नामों का पैनल तैयार कर अनुशंसा के साथ राज्यपाल रामेन डेका को रिपोर्ट सौंपेगी। बता दे कि इस संबंध में 3 दिसंबर को राजभवन रायपुर में समिति की एक महती बैठक संपन्न हो चुकी है और उम्मीद जताई जा रही है कि इसी माह विश्वविद्यालय को नया कुलपति मिल जायेगा। बहरहाल खैरागढ़ विश्वविद्यालय में लगभग छः माह से विश्वविद्यालय कि कुलपति रही पद्मश्री ममता चंद्राकर के विवाद बाद पद से हटने से कुलपति का प्रभार दुर्ग संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर संभाले हुये हैं।

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का नया कुलपति बनने 30 से अधिक दावेदारों ने आवेदन किया है जिनमें ग्राफिक्स आर्ट के सुप्रसिद्ध कलाकार, पूर्व में खैरागढ़ विश्वविद्यालय में ग्राफिक्स विभाग के प्रमुख रह चुके व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष व्ही नागदास, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में ही नृत्यकला संकाय की प्रमुख व पूर्व कुलसचिव रही प्रो.डॉ. नीता गहरवार, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में ही हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर व दृश्यकला संकाय के अधिष्ठाता प्रो.डॉ. राजन यादव सहित प्रदेश की राजधानी रायपुर व देश के विभिन्न स्थानों से शिक्षाविद एवं संगीत, नृत्य, कला व ललित कला के क्षेत्र में निपूर्ण विद्वत्त्वजनों के नाम शामिल है। पाठकों को बता दें कि विश्वविद्यालय में कुलपति चयन की प्रक्रिया बेहद गोपनीय होती है और राज्यपाल के संरक्षण में पूरी चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाता है। कुलपति के लिए पीएचडी होना और कम से कम 10 साल का प्रोफेसरशिप का अनुभव होना जरूरी है। कुलपति विश्वविद्यालय के प्रमुख शैक्षणिक और कार्यकारी अधिकारी के तौर पर काम करते हैं। न्यायालय, कार्यकारी परिषद, अकादमिक परिषद, वित्त समिति और चयन समितियों के वें पदेन अध्यक्ष होते हैं। विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के हित में कार्य करने एवं शिक्षा के स्तर में सुधार करने कुलपतियों की महती भूमिका रहती है।

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