खैरागढ़ महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि विलियम वर्ड्सवर्थ की मनाई जयंती

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. रानी रश्मिदेवी सिंह शासकीय महाविद्यालय खैरागढ़ में प्राचार्य डॉ.ओपी गुप्ता एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.जितेंद्र कुमार साखरे के मार्गदर्शन में अंग्रेजी विभाग में विलियम वर्ड्सवर्थ की जयंती का आयोजन किया गया। अंग्रेजी विभाग की अतिथि सहायक प्राध्यापक अंजली सिंह ने बताया कि विलियम वर्ड्सवर्थ का जन्म 7 अप्रैल 1770 कॉकरमाउथ कम्बरलैंड इंग्लैंड में हुआ। वर्ड्सवर्थ ने हॉक्सहेड ग्रामर स्कूल में पढ़ाई की जहाँ उनका कविता के प्रति प्रेम दृढ़ हो गया और ऐसा माना जाता है कि यहीं उन्होंने कविता लिखने का पहला प्रयास किया। जब वे हॉक्सहेड में थे तब वर्ड्सवर्थ के पिता की मृत्यु हो गई और वे अनाथ हो गये। हॉक्सहेड के बाद वर्ड्सवर्थ ने कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में अध्ययन किया और अपने अंतिम सेमेस्टर से पहले वे यूरोप की पैदल यात्रा पर निकल पड़े। एक ऐसा अनुभव जिसने उनकी कविता और उनकी राजनीतिक संवेदनाओं दोनों को प्रभावित किया। वर्ड्सवर्थ की सबसे पहली कविता 1793 में एन इवनिंग वॉक और डिस्क्रिप्टिव स्केचेस नामक संग्रह में प्रकाशित हुई थी। वर्ड्सवर्थ के काव्य जीवन में उतनी ही महत्वपूर्ण घटना 1795 में कवि सैमुअल टेलर कोलरिज से उनकी मुलाकात थी। जिन्होंने सैमुअल टायलर कॉलरिज के साथ अपने संयुक्त प्रकाशन लिरिकल ब्लेड्स (1798) के साथ अंग्रेजी साहित्य में रोमांटिक युग को शुरू करने में मदद की। विलियम वर्ड्सवर्थ की कविता अक्सर प्रकृति आम आदमी और मानवीय भावनाओं की शक्ति के विषयों पर केंद्रित होती थीं। वर्ड्सवर्थ की सबसे प्रसिद्ध रचना द प्रील्यूड (1850) को कई लोग अंग्रेजी रोमांटिकतावाद की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। हालांकि वर्ड्सवर्थ ने अपने पूरे जीवन में द प्रील्यूड पर काम किया लेकिन कविता मरणोपरांत प्रकाशित हुई। विलियम वर्ड्सवर्थ की मृत्यु 23 अप्रैल, 1850 को राइडल माउंट में हुई जिसके बाद उनकी पत्नी मैरी ने तीन महीने बाद द प्रील्यूड प्रकाशित किया। अंग्रेजी साहित्य में उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया। डॉ.उमेंद्र चंदेल अतिथि सहायक प्राध्यापक हिंदी, डॉ.परमेश्वरी कुम्भज टांडिया अतिथि सहायक प्राध्यापक समाजशास्त्र एवं स्नातक इस अवसर पर लोमेश कुमार, रितेश, गीतांजलि कंवर, लीलात्री साहू, काजल, सोनम, निशा पाल, आंचल बंजारे उपस्थित रहे।