खैरागढ़ जिला मुख्यालय से लगे वन विभाग के संरक्षित जंगल ही नहीं सुरक्षित

खैरागढ़ में फिर सक्रिय हुये लकड़ी तस्कर

ईमारती लकडिय़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई

फर्नीचर और ईट भट्टों में भी हो रहा उपयोग

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. नवीन जिला निर्माण के बाद भी खैरागढ़ जिला मुख्यालय से लगे वन विभाग के संरक्षित जंगल ही सुरक्षित नहीं है, जंगल में मौजूद हरे-भरे ईमारती लकडिय़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है. इन लकडिय़ों को बड़े शहरों में फर्नीचर बनाने से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट भट्टा संचालकों तक भी खुलेआम परिवहन किया जा रहा है. अवैध रूप से लकड़ी की तस्करी करने वाले कोचियों द्वारा क्षेत्र में सागौन के साथ ही रिया, कौहा, बबूल व खम्हार सहित अन्य ईमारती वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है. खासकर जिला मुख्यालय से लगे मुंहडबरी, पांडादाह, कटंगी कला व बैहाटोला क्षेत्र के संरक्षित वनक्षेत्र सहित आसपास के वनांचल में हरे-भरे पेड़ों की कटाई बड़ी तादाद में हो रही है.

बता दे कि बबूल व खम्हार लकड़ी को किसानों के उपयोग के लिये शासन द्वारा छूट दी गई है लेकिन इस छूट का फायदा उठाकर अवैध वृक्ष कटाई में सक्रिय कुछ लकड़ी तस्कर धड़ल् ले से हरे-भरे वृक्षों को खरीदकर बिना परमिशन के किसानों के नाम से काटकर रातों-रात परिवहन कर रहे हैं. बिना किसी रोकटोक के यह कार्य निरंतर जारी है पर इस ओर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. वन विभाग की यह चुप्पी इन अवैध लकड़ी तस्करों के हौसले बुलंद करते जा रहे हैं और दिन-ब-दिन अवैध लकड़ी की कटाई बढ़ती जा रही है. वर्तमान में जिला मुख्यालय से लगे सरंक्षित वन क्षेत्र में सागौन वृक्ष की कटाई धड़ल् ले से चल रही है जिस पर लगाम लगाने वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं.

बता दे कि अवैध रूप से हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर इन लकड़ी तस्करों के द्वारा कीमती लकडिय़ों का उपयोग फर्नीचर निर्माण में किया जा रहा है. यह भी जानकारी मिल रही है कि परिवहन की गाडिय़ों को बिना जांच किये आपसी लेनदेन कर छोड़ दिया जा रहा है जिससे आसानी से अवैध लकड़ी उनके गंतव्य तक पहुंच जाती है. मामले को लेकर जब ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वन विभाग के अधिकारी कभी जंगल में भ्रमण के लिये आते ही नहीं हैं, कभी कभार वन रक्षक ही पहुंचते हैं. यहां तक कि क्षेत्र के डिप्टी रेंजर कौन है और उनका नाम क्या है यह भी ग्रामीणों को नहीं पता है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमीनी स्तर पर जंगलों में वृक्षों की अवैध कटाई को लेकर कामकाज कैसा चल रहा होगा.

वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों में नहीं है सामंजस्य

जंगलों में हो रही अवैध कटाई को लेकर हमारे संवाददाता ने वन विभाग के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों से बात की तो खैरागढ़ के जंगलों में अवैध कटाई के साथ ही एक तथ्य यह भी निकलकर सामने आया कि वन विभाग के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच सामंजस्य का घोर अभाव है, खासतौर पर फिल्ड में रहने वाले वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जंगलों की अवैध कटाई की रोकथाम में फिसड्डी साबित हो रहे हैं.

मामले को लेकर एक डिप्टी रेंजर का कहना है कि अगर जंगल में कटाई हो रही है तो इसके लिये सिपाही (वन रक्षक) जिम्मेदार है लेकिन उन्हें अधिक कुछ भी नहीं बोला जा सकता क्योंकि वो कहना ही नहीं मानते जबकि वन रक्षकों की मनमानी की जानकारी रेंजर, एसडीओ सहित डीएफओ को भी है. डिप्टी रेंजर के हाथ में कार्यवाही करने का पावर नहीं, दिक्कत क्या है सब जानते हैं.

आप बता रहे हैं तो जंगल में कटाई हुई होगी, अवैध कटाई की रोकथाम के लिये बीट में सिपाही तैनात हैं वही मामले की सही जानकारी दे सकते हैं.

पदुमलाल साहू, डिप्टी रेंजर खैरागढ़

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