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कलेक्टर ने कलेक्ट्रेट परिसर में लगाया धरना-प्रदर्शन पर प्रतिबंध, विधायक बोली- कलेक्टर का आदेश तानाशाहीपूर्ण

सत्यमेव न्यूज़ के लिए संपादक अनुराग शाँति तुरे की रिपोर्ट खैरागढ़। जिला प्रशासन खैरागढ़-छुईखदान-गंडई ने बड़ा निर्णय लेते हुए संयुक्त जिला कार्यालय परिसर एवं उसके 100 मीटर दायरे में धरना, प्रदर्शन, रैली, जुलूस और नारेबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत जारी किया गया है।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी इन्द्रजीत सिंह चन्द्रवाल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि हाल के दिनों में विभिन्न संगठनों द्वारा जिला कार्यालय परिसर में लगातार धरना-प्रदर्शन किए जा रहे थे जिससे शासकीय कार्य बाधित हो रहे थे तथा दिव्यांगजन, वृद्धजन और महिलाओं को असुविधा हो रही थी। कलेक्टर ने कहा कि शांति, विधि व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक है ताकि सरकारी कामकाज सुचारु रूप से संचालित हो सके।

संयुक्त जिला कार्यालय परिसर और उसके चारों ओर 100 मीटर की परिधि में किसी प्रकार की सभा, रैली, धरना या नारेबाजी नहीं होगी। इस क्षेत्र में पांच से अधिक लोगों का समूह एकत्र नहीं हो सकेगा। किसी भी प्रदर्शन या जुलूस के लिए आयोजनकर्ता को कम से कम 48 घंटे पूर्व प्रशासन को लिखित आवेदन देना होगा। सुरक्षा के दृष्टिकोण से किसी व्यक्ति को अस्त्र-शस्त्र, लाठी, डंडा, विस्फोटक पदार्थ या घातक सामान लेकर प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। यह आदेश 6 नवम्बर 2025 से 31 दिसम्बर 2025 तक प्रभावी रहेगा या जब तक इसे निरस्त न किया जाए। कलेक्टर ने कहा कि आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने सभी संगठनों और नागरिकों से अपील की है कि वे शांति और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।

कलेक्टर के आदेश के बाद पलटवार करते हुए खैरागढ़ विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा ने कहा है कि यह जनता की आवाज दबाने की कोशिश है। ज्ञात हो कि जिला कलेक्टर के आदेश ने विपक्षी खेमे में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। क्षेत्र की विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा ने इस आदेश को जनविरोधी और तानाशाही करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विधायक वर्मा ने कहा कि कलेक्टर का यह निर्णय जनता और किसानों की आवाज को दबाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासनकाल में जनता पहले से ही बिजली दरों में वृद्धि, जर्जर सड़कों, महंगाई और खराब फसल मुआवजे जैसी समस्याओं से परेशान है। जब जनता अपनी समस्याएं लेकर जिला कार्यालय पहुंचती है तो उसे 100 मीटर दूर रोक देना प्रशासन की तानाशाही है। क्या यही भाजपा का सुशासन है? क्या यह आदेश केवल सत्ताधारी दल की छवि बचाने के लिए जारी किया गया है? श्रीमती वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसी भी जिले में ऐसा प्रतिबंध लागू नहीं है केवल खैरागढ़ में यह आदेश देकर जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचला जा रहा है।

विधायक ने कहा कि जिला कलेक्टर जनता का सेवक होता है उसका दायित्व जनता की समस्याएं सुनना और उन्हें शासन तक पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि 4 नवम्बर को उनके नेतृत्व में हजारों किसान खराब फसल मुआवजा, बीमा भुगतान और धान खरीदी पंजीयन में सुधार की मांग को लेकर जिला कार्यालय पहुंचे थे लेकिन कलेक्टर ने किसानों से मुलाकात से इंकार कर दिया। इससे नाराज किसानों ने शांतिपूर्ण धरना देते हुए चार घंटे तक कलेक्ट्रेट के बाहर नारेबाजी की। विधायक वर्मा ने कहा कि खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला जनता की सुविधा के लिए बनाया गया था ताकि लोगों को राजनांदगांव न जाना पड़े। यदि जनता की आवाज ही नहीं सुनी जाएगी तो नया जिला बनने का क्या लाभ? प्रशासन यदि जनहित की बात नहीं सुनेगा तो जनता और किसान मेरे नेतृत्व में शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसे तत्काल निरस्त करने की मांग करेंगी।

जिला प्रशासन जहां इस आदेश को शांति और सुव्यवस्था के लिए आवश्यक बता रहा है वहीं विपक्षी जनप्रतिनिधि इसे जनता के संवैधानिक अधिकारों पर अंकुश मान रहे हैं। गौरतलब है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा खैरागढ़ की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर सकता है।

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