
अनिश्चितकालीन हड़ताल से थमी ज़िंदगी की चाल
खैरागढ़ में भी ड्राइवरों का गुस्सा उफान पर
दाऊचौरा मार्ग पर सैकड़ों चालक धरने पर बैठे
10 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन से जनता बेहाल
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। शनिवार की सुबह से ही पूरे प्रदेश में सड़कें जाम और इंजन बंद नजर आए। छत्तीसगढ़ ड्राइवर महासंघ के आह्वान पर वाहन चालकों ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल और चक्काजाम शुरू कर दिया है।
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में भी आंदोलन का असर देखने को मिला जहां जिला अध्यक्ष भागीराम साहू के नेतृत्व में सैकड़ों चालक दाऊचौरा लांजी रोड पर धरने में बैठे रहे। चालकों का कहना है कि अब आश्वासन नहीं आदेश चाहिए। जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी गाड़ियों की स्टीयरिंग नहीं घूमेगी।
सड़कें बनीं पार्किंग, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं
धरना शुरू होते ही मालवाहक, बस, ट्रक और निजी वाहन सड़कों पर ही ठहर गए। खैरागढ़ से डोंगरगढ़ और लांजी मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
अस्पताल जाने वाले मरीज, स्कूली बच्चे और दैनिक मजदूर घंटों जाम में फंसे रहे। कई लोगों को पैदल ही अपने गंतव्य तक जाना पड़ा वहीं जिले के बस स्टैंड सूने पड़े हैं और पेट्रोल पंपों पर सन्नाटा पसरा है।
प्रशासन रहा सतर्क, आंदोलन के बीच रही पुलिस की सख्त निगरानी
एसपी लक्ष्य शर्मा के निर्देश पर पुलिस बल और प्रशासनिक टीमें मौके पर तैनात रही।
अधिकारियों का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है लेकिन ड्राइवर संघ का रुख अब भी सख्त बना हुआ है। प्रशासनिक स्तर पर संवाद की कोशिशें अभी भी जारी हैं पर आंदोलनकारी चालक अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
जानिए क्या है वाहन चालकों की 10 सूत्रीय प्रमुख मांगें
- स्थायी वेतनमान लागू किया जाए।
- दुर्घटना बीमा राशि में वृद्धि की जाए।
- सड़क सुरक्षा कानूनों में सुधार।
- रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस प्रक्रिया सरल की जाए।
- चालकों को सामाजिक सुरक्षा और पेंशन योजना का लाभ मिले।
- स्वास्थ्य सुविधा और चिकित्सा बीमा लागू किया जाए।
- विश्राम केंद्रों की व्यवस्था हर हाइवे पर हो।
- निजी कंपनियों में वेतन और समय-सीमा तय की जाए।
- हाइवे पर अवैध वसूली पर रोक लगे।
- आंदोलन में शामिल चालकों पर कार्रवाई न की जाए।
जनजीवन अस्त-व्यस्त, मांग पूरी करने सरकार पर बढ़ा दबाव
हड़ताल के चलते बस, ट्रक, टैक्सी और मालवाहक वाहन ठप हैं। खाद्यान्न, निर्माण सामग्री और रोजमर्रा की वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित होने लगी है। व्यापारिक गतिविधियाँ ठप हैं और सरकार के लिए यह आंदोलन अब एक नई चुनौती बन गया है। वाहन चालकों का कहना है कि अब पीछे नहीं हटेंगे इस बार फैसला सड़क पर ही होगा।