भ्रष्टाचार के आरोप के बाद छिंदारी के परिंदे का मुआयना करने पहुंची सीसीएफ

सीसीएफ मर्सी बेला ने किया स्थलीय निरीक्षण
वन विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के आरोप किये खारिज
खैरागढ़ विधायक सहित कांग्रेस ने लगाया था भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप

खैरागढ़. जिले के सबसे पुराने और प्रमुख जलाशयों में शुमार रानी रश्मि देवी सिंह जलाशय (छिंदारी बांध) के समीप वन विभाग द्वारा विकसित नए पर्यटन केंद्र “छिंदारी के परिंदे” को लेकर बीते माह उठे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) श्रीमती मर्सी बेला स्वयं स्थल पर पहुंचीं। उन्होंने निर्माण कार्य, खरीदी गई सामग्री और व्यय राशि का सूक्ष्म अवलोकन किया। इस दौरान जाँच दल में राजनांदगांव डीएफओ आयुष जैन, खैरागढ़ डीएफओ पंकज राजपूत, बालोद एसडीओ डिंपी बैस, गंडई एसडीओ एएल खूंटे, खैरागढ़ एसडीओ मोना महेश्वरी, छुईखदान रेंजर अशोक वैष्णव सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
निर्माण कार्य एवं खरीद प्रक्रियाओं में नहीं मिली कोई भी गड़बड़ी

जांच के उपरांत सीसीएफ श्रीमती बेला ने स्पष्ट किया कि पर्यटन स्थल के निर्माण कार्य एवं खरीद प्रक्रियाओं में कोई भी गड़बड़ी अथवा भ्रष्टाचार नहीं मिला है। उन्होंने समस्त कार्यों को पारदर्शी और विभागीय मानकों के अनुरूप बताया और सभी संबंधित अधिकारियों को क्लीन चिट प्रदान की।
पर्यटन स्थल पर हुआ 41 लाख से अधिक का व्यय
“छिंदारी के परिंदे” परियोजना पर ₹41.38 लाख की लगभग राशि खर्च की गई है। इसमें बांस से निर्मित विला, सोलर प्लेट, शौचालय, और अन्य संरचनाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त बर्ड व्यू पॉइंट हेतु दूरबीन व कैमरे, वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिए टेंट, पंखे, गद्दे, तकीए, एवं 7 नाव (जिसमें 1 ऑटोमेटिक व शेष मैनुअल हैं), लाइफ जैकेट्स आदि भी खरीदे गए हैं।
विधायक व मिशन संडे टीम ने लगाए थे गंभीर आरोप
उल्लेखनीय है कि खैरागढ़ विधायक श्रीमती यशोदा नीलांबर वर्मा एवं उनकी मिशन संडे टीम ने बीते माह “छिंदारी के परिंदे” का निरीक्षण कर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उनके द्वारा निर्माण गुणवत्ता, खरीदी की पारदर्शिता और वास्तविक खर्च को लेकर सवाल उठाए गए थे। इसके बाद वन विभाग द्वारा कई चरणों में आंतरिक जांच कराई गई, जिसमें पहले गंडई एसडीओ एएल खूंटे की टीम, और फिर वरिष्ठ अधिकारियों का दल मौके पर पहुंचा और अब विभागीय स्तर पर पारदर्शिता की बात कही जा रही है।
भ्रष्टाचार के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए विभाग द्वारा उच्चस्तरीय जांच कराई गई, जिसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता सामने नहीं आई। पर्यटन विकास कार्य विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया गया है।
पंकज राजपूत, डीएफओ खैरागढ़