17 लाख की इनामी हार्डकोर महिला नक्सली ने खैरागढ़ में किया आत्मसमर्पण

सत्यमेव न्यूज के लिए आकाश तिवारी खैरागढ़। जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई पुलिस को नक्सल उन्मूलन के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल हुई है। 17 लाख रुपये की इनामी हार्डकोर महिला नक्सली कमला सोड़ी उर्फ उंगी उर्फ तरूणा (आयु 30 वर्ष) ने बुधवार को खैरागढ़ स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति–2025 और जिला पुलिस के निरंतर जनसंपर्क एवं पुनर्वास प्रयासों का परिणाम माना जा रहा है।

कमला सोड़ी वर्ष 2011 में मात्र 16 वर्ष की आयु में प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) में शामिल हुई थी। वह संगठन के माड़ डिवीजन और एमएमसी जोन में सक्रिय रहकर मिलिट्री विंग की सदस्य के रूप में कार्य करती थी। बताया गया कि वह भर्ती, प्रचार कार्य, तथा पुलिस दलों पर हमलों की रणनीति तैयार करने जैसी गतिविधियों में अहम भूमिका निभाती रही। कमला एमएमसी जोन प्रभारी रामदर की टीम की महत्वपूर्ण सदस्य थी और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में नक्सली संगठन के साथ बेहद सक्रिय थी। तीनों राज्यों की पुलिस ने संयुक्त रूप से कमला पर 17 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। कमला मूल रूप से जिला सुकमा के ग्राम अरलमपल्ली की निवासी है।

आत्मसमर्पण के बाद आयोजित पत्र वार्ता में एसपी लक्ष्य विनोद शर्मा ने बताया कि यह आत्मसमर्पण शासन की जनहितैषी नीति और सुरक्षा बलों के सतत प्रयासों का परिणाम है। जिला पुलिस द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान, सिविक एक्शन प्रोग्राम और जनसंपर्क गतिविधियों से ग्रामीणों में शासन के प्रति विश्वास मजबूत हुआ है। ग्रामीण अंचलों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के विस्तार से लोगों में विकास की भावना प्रबल हुई है। पत्रकारों से वार्ता में बताया गया कि आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 के लाभों की जानकारी बैनर, पोस्टर और पंपलेट के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निरंतर पहुंचाई जा रही है।

छत्तीसगढ़ शासन की नक्सलवाद उन्मूलन नीति के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने पर कमला सोड़ी को तत्काल ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है साथ ही पुनर्वास योजना के तहत अन्य आर्थिक और सामाजिक लाभों की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है जिससे वह मुख्यधारा में सशक्त जीवन यापन कर पाएगी।

महिला नक्सली का आत्मसमर्पण न केवल पुलिस व प्रशासन के लिए उपलब्धि है बल्कि यह संकेत भी है कि अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की रोशनी पहुंच रही है। शासन की पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों के मानवीय दृष्टिकोण ने नक्सलियों में यह विश्वास जगाया है कि हिंसा छोड़कर भी सम्मानजनक जीवन संभव है। यह आत्मसमर्पण निश्चित रूप से उन लोगों के लिए प्रेरणा बनेगा जो अभी भी जंगलों में हथियार लेकर भटक रहे हैं।

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