सर्रागोंदी में फिर अंकुराई आस्था, कटे पीपल वृक्ष के स्थल पर बनेगा मंदिर

सत्यमेव न्यूज के लिए मनोहर सेन खैरागढ़। जिला मुख्यालय खैरागढ़ से लगे ग्राम सर्रागोंदी में धार्मिक आस्था से जुड़े प्राचीन पीपल वृक्ष की कटाई के बाद उपजे जनाक्रोश ने अब एक सकारात्मक रूप लेते हुए श्रद्धा और एकता का नया संदेश दिया है। विश्व हिन्दू परिषद और ग्रामीणों ने उसी स्थान पर नया पीपल पौधा रोपते हुए यहां हनुमान मंदिर निर्माण का संकल्प लिया है। रविवार की रात गांव के सरकारी भूमि स्थित पूजनीय पीपल वृक्ष को काट दिया गया था। ग्रामीणों का आरोप है कि आरोपी इमरान मेमन ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने की मंशा से यह कार्य कराया जिससे समूचे क्षेत्र में रोष फैल गया था।

गांव की 90 वर्षीय देवला बाई पटेल ने भावुक और नम आँखों के साथ कांपते हाथों से पीपल का नया पौधा रोपकर सभी को भाव-विभोर कर दिया। यही देवला बाई वर्ष 2001 में इस स्थल पर पहली बार पीपल का पौधा लगाया था जो अब विशाल वृक्ष के रूप में स्थापित था। देवला ने कहा जिस आस्था को रातों-रात काटा गया था भगवान ने आज उसे फिर से स्थापित करने का अवसर दिया है। इसके बाद गांव में धार्मिक आस्था से जुड़े कई गगनचुंबी नारे और जयकारे लगाए गए।

मौके पर पहुंचे विश्व हिन्दू परिषद के जिला उपाध्यक्ष भागवत शरण सिंह डंपी ने कहा कि यहां हनुमान मंदिर का निर्माण किया जाएगा। यह केवल एक वृक्ष नहीं हमारे धर्म, परंपरा और प्रकृति का प्रतीक था। अब इसे स्थायी धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। कार्यक्रम में समाजसेवी बिशेसर साहू, घम्मन साहू राजीव चंद्राकर, सुभाष राजपूत, शिशिर मिश्रा, आनंद अग्रवाल, शैलेन्द्र मिश्रा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने के मामले में आरोपी इमरान मेमन को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया। भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 298 और 3(5) के तहत दर्ज प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए आरोपी को खैरागढ़ के सलोनी जेल भेज दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी पक्ष की ओर से उच्च न्यायालय में अपील की तैयारी की जा रही है। इसके बाद ग्रामवासियों ने स्पष्ट कहा कि अब यह स्थल केवल एक वृक्ष का स्थान नहीं रहेगा बल्कि यहां स्थायी हनुमान मंदिर का निर्माण कर पूजा-अर्चना की जाएगी। हर वर्ष इस स्थान पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कर नई पीढ़ी को धर्म, न्याय और प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया जाएगा। ज्ञात हो कि पीपल वृक्ष की कटाई से उपजी पीड़ा अब नई आस्था, न्याय और पर्यावरण संरक्षण के संदेश में बदल रही है। सर्रागोंदी में अंकुराया यह पौधा केवल वृक्ष नहीं, बल्कि उस सामूहिक भावना का प्रतीक है जो बताती है कि आस्था को कोई नहीं काट सकता, वह हमेशा फिर से अंकुरित होती है।

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