रास लीला का अनुशरण नहीं चिंतन करना चाहिए- पं.विनोद गोस्वामी

देवारीभाठ में विधायक करा रही भागवत कथा का आयोजन

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. विधायक श्रीमती यशोदा नीलांबर वर्मा के गृह ग्राम देवारीभाठ में 11 जनवरी से सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय उद्देश्य को लेकर नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है. कथा में चार वेद, पुराण, गीता एवं श्रीमद्भागवत महापुराण की व्याख्या पं.विनोद बिहारी गोस्वामी कर रहे हैं. इस दौरान पं.गोस्वामी जी ने कहा कि अगर व्यक्ति मन लगाकर श्रीमद्भागवत कथा को अपने चित्त में धारण कर ले, आप जो मांगे वो प्राप्त हो जायेगा. मुक्ति प्राप्त कराने वाला यह ग्रंथ साक्षात श्रीकृष्ण ही हैं. भागवत में और कृष्ण में कोई अंतर नहीं है. कलिकाल में पुराणरूपी कृष्ण हमारे समस्त पापों का हरण करने के लिये भागवत के रूप विराजमान हैं. वो जीव कितने अभागे हैं जो ईश्वर को त्याग कर संसार के बंधनों में फसे पड़े हैं. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किये गये विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्याभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिये प्रेरित किया.

इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें दिन भगवान श्रीकृष्ण के सर्वोपरी लीला श्रीरास लीला चरित्र का वर्णन मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिये कंस वध, कुबजा उद्धार, उग्रसेन मुक्त उद्धव प्रसंग का कथा वाचन किया गया. पं.विनोद बिहारी ने सुंदर समाज निर्माण के लिये गीता के कई उपदेशों के माध्यम से अपने आपको उस अनुरूप आचरण करने कहा जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है. कथा का रसपान करने मोहला-मानपुर के विधायक इन्द्रशाह मंडावी, डोंगरगढ़ विधायक भुनेश्वर बघेल, वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री प्रतिमा चंद्राकर, लक्षमण चंद्राकर, प्रदीप चौबे, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष आकाशदीप सिंह, सुरेंद्र दास वैष्णव, भुनेश्वर साहू, कमलेश्वर वर्मा व जिला प्रेस क्लब अध्यक्ष सज्जाक खान शामिल हुये.

रूक्मणी विवाह व सुदामा चरित्र के साथ कथा का हुआ समापन

भागवत कथा का समापन रूक्मणी विवाह व सुदामा चरित्र के साथ किया गया. इस दौरान पं.विनोद जी ने कहा कि सुदामा की पत्नि सुशीला ने अपने पति से कहा कि तुम अपने मित्र द्वारकाधीश से मिलने जाओ जिससे इस द्ररिद्रता का निवारण हो सके और उन्होंने पड़ोस से तीन मुठ्ठी चावल भेंट स्वरूप अर्पित करने के लिये दिया. अधिक परिश्रम करके सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारकापुरी पहुंचे जहां तीन मुठ्ठी चांवल की भेंट श्रीकृष्ण ने अथाह प्रेम एवं ममता पूर्ण स्नेह से अंगीकार कर दो मुठ्ठी सुखे ही स्वाद से खाने लगे, शेष एक मुट्ठी चावल के लिये जैसे ही उन्होंने हाथ बढ़ाया तभी पटरानी रुक्मणी ने अपने लिये भी प्रसाद स्वरूप याचना की जिसके बदले में श्रीकृष्ण ने सुदामा को दरिद्रता दूर कर धनवान बना दिया. इस दौरान आपस के मिलन का भावपूर्ण चित्रण सुनाया. श्रीकृष्ण ने अपने आंसूओं से सुदामा के चरण धोए और अच्छे कपड़े पहनाकर ऊंचे आसन पर बैठाया. गोस्वामी ने कहा कि भगवान के दरबार में अमीर और गरीब का भेद नहीं होता. भगवान के बाल सखा सुदामा गरीब थे लेकिन उनका एक-दूसरे के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण था. मानव को भगवान की भक्ति में ऐसा ही समर्पण और प्रेम का भाव लाना चाहिए. भगवान की भक्ति के लिए संन्यास लेना या अन्य तरह के तरीकों की जरूरत नहीं है. गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी भौतिक मोह माया से निर्लिप्त रहकर भक्ति करने की कला बड़ा योग है. इसके बाद रुक्मणी विवाह की कथा सुनाई. कथा के समापन अवसर पर संसदीय सचिव शकुंतला साहू, पूर्व विधायक गिरिवर जंघेल, जिपं सभापति विप्लव साहू, विनोद ताम्रकार व मोतीलाल जंघेल सहित जनप्रतिनिधि तथा भक्तगण शामिल हुये.

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