सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. रानी अवंती बाई लोधी कृषि महाविघालय एवं अनुसंधान केन्द्र छुईखदान के चतुर्थ वर्ष के छात्रों ने मॉड्यूल प्रोग्राम के अंतर्गत कॉलेज फार्म में गृह वाटिका की स्थापना की और बाजार में गृह वाटिका के फलों एवं सब्जियों की मार्केटिंग भी की. छात्रों ने गृह वाटिका के बारे में बताते हुए कहा कि पोषण वाटिका या रसोईघर बाग या किर गृह वाटिका उस वाटिका को
कहा जाता है. जो घर के अगल बगल में घर के आंगन में ऐसी खुली जगह पर होती है.
जहा पारिवारिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल के लिये विभिन्न मौसमों
में मौसमी फल और विभिन्न सब्जियां उगाई जाती है.
संतुलित भोजन के लिये एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन फल 85 ग्राम, सब्जियां 300 ग्राम
जिसमे हरी सब्जियां 125 ग्राम, जड़ वाली सब्जियां 100 ग्राम अन्य प्रकार की सब्जियां 75 ग्राम की आवश्यकता होती हैं. पोषण वाटिका का आकार
जहाँ तक पोषण वाटिका के आकार का संबंध है वह जमीन की उपलब्धता, परिवार के सदस्यों की संख्या और समय की उपलब्धता पर निर्भर है.
लगातार फल चक्र, सघन बागबानी और अंत फसल खेती को अपनाते हुये
औसत परिवार में जिसमे 1 औरत,1 मर्द व 3 बच्चे यानी कुल 5 सदस्य हों, ऐसे परिवार के लिए औसतन 250 वर्ग मीटर की जमीन काफी है. इसी से अधिकतम पैदावार ले कर पूरे साल
अपने परिवार के लिए फल एवं सब्जियों प्राप्ति की जा सकती है. गृह वाटिका से साल भर ताजा फल एवं सब्जियों की प्राप्ति होती हैं. रसायन मुक्त फल एवं सब्जियों खाने को मिलता हैं और रुपयों की बचत होती हैं. पूजा के लिए ताजा फल एवं फल उपलब्ध होते है. इस संबंध में छात्रों ने बताया कि गृह वाटिका के विविध एवं बहुत से लाभ हैं. छात्रों ने यह गृह वाटिका डॉ.बी.एस. असाटी ( एसोसिएट प्रोफेसर वेजिटेबल साइंस) व अधिष्ठाता डॉ. ए.के. गुप्ता के कुशल मार्गदर्शन में निर्मित किया है जिसकी प्रशंसा हो रही है.