नशे के दलदल में धर्मनगरी, विधायक ने विधानसभा में उठाया मुद्दा

सत्यमेव न्यूज/डोंगरगढ़. धर्मनगरी डोंगरगढ़ में शराब हमेशा एक अभिशाप माना गया है. यहां पूरे छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. यहां सभी धर्म के लोग आपसी सौहार्द्र और भाईचारे के साथ रहते हैं, इसलिए डोंगरगढ़ नगर में शराब पूर्ण प्रतिबंधित कर दी गई थी. लेकिन अब तो ऐसा लगता है कि यहां शराब दुकान होती तो ज्यादा अच्छा होता, कम से कम यहां के नौजवानों के अपराधी बनने की नौबत तो नहीं आती और छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद डोंगरगढ़ में कई विधायक आए और गए, पर किसी ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया.
डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता स्वामी बघेल द्वारा अपना पदभार ग्रहण करने के बाद ही नशे के खिलाफ उन्होंने अभियान आरंभ कर दिया था. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया था कि कोई भी कार्यकर्ता नशे के अवैध कार्य में संलिप्त न हो और न ही किसी की सिफारिश करें. यदि फिर भी कोई ऐसा करता है तो उसे बक्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस को नशे के खिलाफ ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें गांजा, शराब, नशीली गोली और अन्य नशीली वस्तुओं के विक्रय पर तत्काल लगाम लगाने कहा. उन्होंने कहा कि यदि पुलिसिंग सतर्क और सजग रहेगी तो किसी की मजाल नहीं है कि अवैध कार्य करने की हिम्मत कर सके, परंतु जब उन्होंने देखा कि उनके आग्रह पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है और उनके बंगले में तैनात सुरक्षाकर्मी ही शराब के नशे में मदहोश होकर ड्यूटी कर र रहे हैं और उसी हालत में बंगले में निवास कर रहे हैं तो उन्हें इससे बहुत आघात महसूस हुआ, तब जाकर यह मुद्दा प्रदेश स्तर का हो गया. श्रीमती बघेल ने यह मुद्दा विधानसभा में उठाया, जहां विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इसे संज्ञान में लेकर गंभीरता से सुना गया, परंतु उप मुख्यमंत्री (गृहमंत्री) विजय शर्मा द्वारा पिछली सरकार को जिम्मेदार बताकर इस विषय की नजर अंदाज कर दिया है, परंतु डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता स्वामी बघेल ने कहा कि चाहे मुझे सरकार का सहयोग मिले या न मिले, लेकिन मैं तब तक लड़ती रहूंगी, जब तक डोंगरगढ़ को इस नशे के दलदल से मुक्ति न दिला दूं यही मेरा प्रण है.

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