देवांगन समाज का ऐतिहासिक निर्णय: मृत्यु भोज की परंपरा होगी समाप्त, आर्थिक सहायता को दी जायेगी प्राथमिकता

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से देवांगन समाज के कार्यकारिणी सदस्यों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। समाज की बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि किसी भी सदस्य की मृत्यु होने पर उसके परिवार को मृत्यु भोज कराने की परंपरा से मुक्त किया जाएगा। इसके स्थान पर आर्थिक सहायता को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि शोकग्रस्त परिवार को राहत मिल सके। परंपरागत रूप से समाज में मृत्यु भोज की प्रथा चली आ रही थी जिसमें मृतक के परिजनों को बड़े स्तर पर भोजन व्यवस्था करनी पड़ती थी। यह आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए अतिरिक्त भार बन जाता था। समाज ने इसे अनावश्यक खर्च मानते हुये इसे समाप्त करने का निर्णय लिया। अब मृत्यु भोज में केवल चावल, दाल और सब्जी परोसी जाएगी, ताकि अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े। इसके अलावा समाज में मृत्यु के समय शोक संवेदना व्यक्त करने के लिये पीतांबरी कपड़ा चढ़ाने की परंपरा पर भी रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। इसकी जगह, समाज के सदस्य शोकाकुल परिवार को नगद राशि प्रदान करेंगे जिससे उन्हें वास्तविक आर्थिक सहायता मिलेगी और अंतिम संस्कार संबंधी आवश्यकताओं में सहायता हो सके। यह निर्णय देवांगन समाज की कार्यकारिणी समिति द्वारा लिया गया है और इसे जल्द ही समाज की सामान्य बैठक में पारित किया जाएगा। समाज के वरिष्ठजन और युवा सदस्य इस बदलाव को एक प्रगतिशील कदम मान रहे हैं, जिससे अनावश्यक परंपराओं के बोझ से मुक्ति मिलेगी और आर्थिक रूप से पीड़ित परिवारों को सशक्त किया जा सकेगा। देवांगन समाज का यह निर्णय समाज में नवाचार और जागरूकता का प्रतीक है। यह न केवल आर्थिक भार को कम करेगा, बल्कि समाज में समरसता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देगा। ऐसे निर्णय अन्य समाजों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं, जिससे सामाजिक कुरीतियों को समाप्त कर वास्तविक सहयोग को प्राथमिकता दी जा सके। यह जानकारी समाज के संरक्षक मनराखन देवांगन ने दी है। इस दौरान निर्णायक कार्यकारिणी सदस्यों मे संरक्षक मनराखन देवांगन, अध्यक्ष सेवक देवांगन, सचिव युवराज देवांगन, दीपक देवांगन, जिला कोषाध्यक्ष वीरेंद्र देवांगन, गोविन्द देवांगन, अजय देवांगन, नरेश देवांगन सहित, राजेश देवांगन अन्य सदस्य मौजूद थे।

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