जनपद पंचायत घोटाले पर अब तक कार्रवाई नहीं: विधानसभा में उठा मुद्दा, जनता में असंतोष

खैरागढ़. जनपद पंचायत छुईखदान में लाखों की शासकीय राशि पंचायतों को दरकिनार कर निजी खातों में ट्रांसफर किए जाने का गंभीर घोटाला सामने आने के बाद भी अब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई ठोस प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई है। यह मामला विधानसभा के मानसून सत्र में भी उठा जहां खैरागढ़-छुईखदान-गंडई विधायक यशोदा नीलाम्बर वर्मा ने घोटाले को लेकर सरकार से जवाब मांगा है।

विधायक यशोदा वर्मा द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उप मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने स्वीकार किया कि पंचायतों की राशि पंचायत खातों के बजाय सरपंच प्रतिनिधियों, सचिवों, कम्प्यूटर ऑपरेटरों और निजी फर्मों के खातों में ट्रांसफर की गई है। यह स्वीकारोक्ति इस बात की पुष्टि करती है कि योजनागत राशि का दुरुपयोग सुनियोजित तरीके से किया गया।

जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भुगतान तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) रवि कुमार के डिजिटल सिग्नेचर (डीएससी) से किए गए। हैरानी की बात यह है कि जांच में संलिप्तता की पुष्टि के बावजूद सीईओ रवि कुमार और लिपिक लिकेश तिवारी के विरुद्ध अब तक कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है।

मामले में जिन वेंडरों को भुगतान किया गया वे अधिकांशतः जनपद से जुड़े लोग थे जैसे सरपंच पति, सचिव, कम्प्यूटर ऑपरेटर आदि। सरकारी योजनाओं की राशि इनके निजी खातों में भेजी गई, जिससे यह साफ होता है कि यह घोटाला भीतरखाने की मिलीभगत का परिणाम है।

पूरे प्रकरण में अब तक केवल लिपिक लिकेश तिवारी पर आंशिक कार्रवाई की गई है जबकि प्रशासनिक नियंत्रण में रहे उच्च अधिकारी जाँच के दायरे से बाहर हैं। जांच प्रक्रिया को सीमित कर दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

विधानसभा में मामला उठने और जवाब आने के बाद भी न तो ठोस कार्रवाई की गई और न ही जांच की मॉनिटरिंग हुई। इससे क्षेत्रीय जनता में गहरा असंतोष है। जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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